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अब कहां रही औरों से 'अलग' आप

अब कहां रही औरों से 'अलग' आप - Delhi assembly elections, AAM Adami pary
राजधानी दिल्ली में  विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। सभी प्रमुख दलों ने इस मुकाबले में बाजी मारने के लिए  तैयारियों तेज कर दी हैं। पिछले वर्ष के चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी अलग पहचान बनाने का दावा किया और यह लगातार इस बात का दावा भी करती रही है, लेकिन अपनी अलग छवि बनाने और दर्शाने का दम भरने वाली आप भी कई मामलों में दूसरों से अलग ना होकर दूसरों जैसी ही साबित हो रही है।
 

पहले यह हर बात पर लोगों की राय जानने के लिए उतावली लगती थी, लेकिन लगता है कि अब लोगों की राय जानने की इसकी खुजली मिट गई है। पार्टी का फंड जुटाने की बात हो या प्रत्याशियों के बारे में लोगों को जानकारी देने की बात हो, इसके भी तौर तरीके बदल गए हैं। विदित हो कि पिछले विधानसभा चुनावों के तीन महीने पहले पार्टी ने अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर डाल दी थी। इस सूची में सभी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा दी थी और इसमें उम्मीदवार की जानकारी, घर का पता, मोबाइल नंबर आदि उपलब्ध कराया गया था। इतना ही नहीं, इस पर जनता से उसकी आपत्तियां और सुझाव भी मांगे गए थे।

और, इस बार पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक कर दी लेकिन महीनों बाद भी उम्मीदवारों से जुड़ा ब्योरा नहीं डाला है। हालांकि इस बारे में पार्टी का कहना है कि वह जल्द ही यह जानकारी वेबसाइट पर मुहैया कराएगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा का दावा करने वाली आप ने महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारने में पर्याप्त उदारता नहीं बरती है। आप ने केवल छह महिलाओं को अपना टिकट दिया है, जो कि दिल्ली की कुल विधानसभा सीटों का नौ फीसदी भी नहीं है।

जिन महिलाओं को आप ने फिर से प्रत्याशी बनाया है़ उनमें से दो महिलाएं, मंगोलपुरी से उम्मीदवार राखी बिड़लान और शालीमार बाग से उम्मीदवार वंदना कुमारी पार्टी की पूर्व विधायक भी रह चुकी हैं। आरकेपुरम से पार्टी की प्रत्याशी प्रमिला टोकस और चांदनी चौक से अलका लाम्बा कांग्रेस से आप में शामिल हुई हैं। इस बार पालम विधानसभा सीट से चुनाव लड रहीं भावना गौड़ को पार्टी ने फिर एक बार खड़ा कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में आरकेपुरम से शाजिया इल्मी मात्र कुछ वोटों से हार गई थीं, लेकिन इस बार पार्टी को उनके बदले कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला और कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आईं उम्मीदवार के ही नाम पर मुहर लगा दी गई।