गतांग से आगे...
बांग्लादेश में हिन्दू : पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने जब विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। पाकिस्तान की सत्ता में बैठे लोगों की पहली प्रतिक्रिया उन्हें 'भारतीय एजेंट' कहने के रूप में सामने आई और उन्होंने चुन-चुनकर शिया और हिन्दुओं का कत्लेआम करना शुरू कर दिया। 24 साल के भीतर ही यह दूसरा क्रूर विभाजन था जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ। एक गैरसरकारी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।
ऐसे में बांग्लादेश मुक्तिवाहिनी और भारतीय सेना ने अपना खून बहाकर सन् 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया गया। 1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लगभग 1 करोड़ हिन्दू और मुसलमानों को पड़ोसी देश भारत के पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में शरण लेनी पड़ी। बांग्लादेश बनने के बाद युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहने वालों मुसलमानों को सरकार ने आज तक उनके देश भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया। अब इनकी संख्या 1 करोड़ से बढ़कर 3.50 करोड़ के आसपास हो गई है।
बांग्लादेश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएं भारत और दक्षिण-पूर्व सीमा म्यांमार से मिलती हैं। दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश के पश्चिम में भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल है तो उत्तर-पूर्व में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम हैं। दूसरी ओर बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व में म्यांमार का रखैन इलाका है। जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है अब वहां जातीय गणित गड़बड़ा गया है। हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है और मुसलमान बहुसंख्यक। बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ जारी है जिसके चलते असम में हालात बिगड़ गए हैं।
2011 में बांग्लादेशी सरकार द्वारा जारी किए गए धार्मिक जनगणना के डाटा अनुसार इस समय बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या महज 8.6 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में पहली जनगणना में (जब वह पूर्वी पाकिस्तान था) मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 22 लाख थी जबकि हिन्दुओं की जनसंख्या 92 लाख 39 हजार थी। 60 वर्षों बाद हिन्दुओं की संख्या केवल 1 करोड़ 20 लाख है जबकि मुस्लिमों की संख्या 12 करोड़ 62 लाख हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में यहां हिन्दुओं पर हमलों की कई घटनाएं हुई हैं। हिन्दुओं की संपत्तियों को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों की पवित्रता को भंग कर उसे आग के हवाले कर दिया गया और ये हमले बेवजह किए गए।
इंडोनेशिया में हिन्दू :
बाली इंडोनेशिया का एक द्वीप प्रांत है। यह जावा के पूर्व में स्थित है। अब बस यहां ही हिन्दू बचे हैं। कभी इंडोनेशिया हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। इंडोनेशिया में आज भी हिन्दू काल के कई प्रचीन और विशालकाय मंदिर मौजूद हैं जो उस देश की पहचाना हैं। इंडोनेशिया के मुस्लिमों को हिन्दुओं से किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं क्योंकि वे जानते हैं कि हमारे सभी पूर्वज हिंदू ही थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वहां बाहरी लोगों ने आकर कट्टरवाद को बढ़ावा दिया है।
इंडोनेशिया में दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में मुसलमानों की एक बड़ी आबादी है जिसमें लगभग 20.29 करोड़ स्वयं को मुस्लिम (2011 में इंडोनेशिया की कुल जनसंख्या का 87.2 %) मानते हैं लेकिन वे सभी धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी हैं। बाली द्वीप में 90 प्रतिशत से ज्यादा हिन्दू रहते हैं।
20 करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले इण्डोनेशिया के हिन्दू धर्मावलंबियों में से अधिकांश बाली द्वीप में ही रहते हैं। बाली द्वीप का प्राचीन नाम है वेणुवन। बाली में बसे 40 लाख से अधिक हिन्दू धर्मावलंबी मूलत: इण्डोनेशियाई मूल के हैं। इस तरह देखा जाए तो इंडोनेशिया की कुल जनसंख्या का 2000 में 1.79% हिन्दू थे जो 2010 में घटकर 1.69% रह गए।
इण्डोनेशिया में लगभग 11,000 हिन्दू मंदिर हैं जिनमें से अधिकतर बाली में हैं। पूरे इण्डोनेशिया में रामायण एवं महाभारत अत्यंत लोकप्रिय हैं। हिन्दू पर्वों एवं उत्सवों के अवसर पर बाली के मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ लग जाती है।
इण्डोनेशिया में, एक अनुमान के अनुसार, करीब सात करोड़ लोग किसी न किसी मजहबी गुट के सदस्य हैं। हालांकि पुराने मजहबी संगठन उतने उग्र नहीं माने जाते जितने कि हाल के कुछ वर्षों में बने संगठन। वर्तमान में यहां पर अल कायदा और आईस के सक्रिय होने से देश की सरकार चिंता में है।
इंडोनेशिया में विशेषक बाली द्वीप में आने वाले पर्यटकों पर अब हमले इसलिए होने लगे हैं क्योंकि इस्लामिक गुट चाहते हैं कि बाली का पर्यटन कारोबार खत्म हो जाए और लोगों का यहां आना जाना बंद हो जाए। इसके बाद वे यहां रह रहे हिन्दुओं को अंतरराष्ट्रीय वर्ग से काटकर अपना एजेंडा चला सकेंगे।
2000 में आतंकियों ने इंडोनेशिया में कई हमले किए थे। पुलिस ने इसके बाद डोमेस्टिक मिलिटेंट सेल्स को काफी हद तक तबाह कर दिया था। लेकिन इंडोनेशिया में एक बार फिर फाइटिंग ग्रुप की तादाद बढ़ने से पुलिस परेशान है। - न्यूयॉर्क के सूफन ग्रुप ने कहा था कि 500 से 700 इंडोनेशियाई आईएस को ज्वॉइन कर चुके थे। अक्टूबर 2002 में बाली बम ब्लास्ट में 202 लोगों की मौत हो गई थी। 2003 में जकार्ता के मैरिएट होटल के पास हुए ब्लास्ट में 12 लोग मारे गए थे। 14 जनवरी 2016 को जकार्ता में यूएन ऑफिस के पास आतंकियों ने आठ धमाके किए थे। इसमें सात लोगों की मौत हो गई थी। इस वर्ष 25 मई 2017 को जकार्ता में 2 ब्लास्ट हुए जिसमें 3 की मौत और कई जख्मी जख्मी हो गए थे।
(इनपुट एजेंसियों से भी)