शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. नोटबंदी
  4. Narendra Modi, Reserve Bank of India, demonetization
Written By
Last Modified: सोमवार, 19 दिसंबर 2016 (18:00 IST)

मोदी जी! यह तो ईमानदारी नहीं है...

मोदी जी! यह तो ईमानदारी नहीं है... - Narendra Modi, Reserve Bank of India, demonetization
रिजर्व बैंक ने एक नया फरमान जारी कर उन लोगों को मुसीबत में डाल दिया है, जो लोग इस बात का इंतजार कर रहे थे कि बैंकों में लाइनें कम हों और वे अपने पास मौजूद 1000 और 500 के नोटों को अपने खातों में जमा कर सकें। 
दरअसल, आरबीआई ने कहा है कि पांच हजार रुपए से ज्यादा के पुराने नोट जमा कराने पर जमाकर्ता को जबाब देना होगा कि उसने ये नोट बैंक में अब तक क्यों नहीं जमा कराए। हालांकि पांच हजार रुपए तक जमा कराने पर प्रतिबंध नहीं होगा। पूछताछ के समय बैंक के कम से कम दो अधिकारी मौजूद होंगे तथा पूरी पूछताछ ऑन रिकॉर्ड होगी। 
 
आरबीआई के इस निर्णय के बाद लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि पहले सरकार और बैंकों की ओर से लोगों की ओर से कहा जा रहा था कि लोग अपने नोट जमा करवाने के लिए जल्दबाजी न करें और बैंकों में भीड़ न बढ़ाएं। वे आराम से अपनी राशि अपने खातों में जमा करा सकते हैं, लेकिन अब पूछताछ की बात सामने आने के बाद लोगों को लग रहा है कि उन्होंने सरकार और बैंकों पर भरोसा कर गलती की है। 
 
यह तो सबको मालूम ही है कि कालाधन रखने वालों ने पिछले दरवाजों से बैंकों से करोड़ों रुपए बदल लिए। पिछले दिनों लगातार पकड़ा रहे नए नोट इस पूरे मामले की कहानी बयान करने के लिए काफी है। इस सिलसिले में आरबीआई के ही तीन अधिकारी अब तक गिरफ्तार भी हो चुके हैं। 
 
अब यदि 5500 रुपए के पुराने नोट जमा करवाने पर लोगों को बैंक अधिकारियों की पूछताछ का सामना करना पड़े तो यह वाकई उनके लिए शर्मनाक स्थिति होगी क्योंकि कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने सोचा था कि बैंकों में भीड़ छंटने दो फिर आराम से अपने यहां रखे 10-15 हजार रुपए बैंकों में जाकर जमा करवा देंगे, लेकिन बैंकों के ताजा फरमान ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
 
उल्लेखनीय है कि 30 दिसंबर तक बैंकों में जाकर व्यक्ति अपने खाते में रुपए में जमा कर सकते हैं। अब लोग तो यही कह रहे हैं कि मोदी जी! यह तो ईमानदारी नहीं है। आप तो अपनी ही कही बात से पलट रहे हैं। क्या गारंटी है कि आगे भी आप अपने फैसले नहीं बदलेंगे। ऐसे में तो जनता का भरोसा उठ ही जाएगा।