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Last Updated : शुक्रवार, 5 जुलाई 2019 (17:03 IST)

अंगूठे से खून बह रहा था फिर भी मैदान पर डटे हुए थे एमएस धोनी

Mahendra Singh Dhoni। अंगूठे से खून बह रहा था फिर भी देश की खातिर मैदान पर डटे हुए थे धोनी - Mahendra Singh Dhoni, injury, blood thumb
इंग्लैंड में खेले जा रहे विश्व कप के 12वें संस्करण में भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का नया अवतार देखने को मिला। मैदान पर पूरी शिद्दत के साथ समर्पण की भावना ने हरेक का दिल जीत लिया। इंग्लैंड के खिलाफ जब भारत विश्व कप के मैच में लक्ष्य का पीछा कर रहा था, तभी उनके अंगूठे में चोट लग गई थी और उसमें से खून रिस रहा था लेकिन धोनी की दिलेरी ही थी कि वे अंतिम समय तक मैदान पर डटे रहे।
 
हालांकि इस मैच की हार के बाद कहा जा रहा था कि भारत जानबूझकर मैच हारा ताकि पाकिस्तान को विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने से रोका जा सके। धोनी की धीमी बल्लेबाजी ने इस हार में एक तरह आग में घी का काम किया। धोनी ने 31 गेंद में 42 रन की पारी खेली।
 
जब भारत को अंतिम 30 गेंद में जीत के लिए 78 रनों की दरकार थी, तब विकेट पर धोनी के साथ केदार जाधव मौजूद थे लेकिन दोनों मिलकर 39 रन ही  बना सके और भारत यह मैच भारत 31 रन से हार गया। हार के बाद धोनी की इसलिए आलोचना होती रही कि उन्होंने फिनिशर की भूमिका ईमानदारी से नहीं निभाई।
धोनी के धीमा खेलने और भारत के हारने की चर्चा हिंदुस्तान से कहीं ज्यादा पाकिस्तान में हुई। टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेटरों जिनकी कोई हैसियत नहीं है, वे धोनी की बल्लेबाजी का पोस्टमार्टम करते रहे। वो लोग उस हकीकत से वाकिफ नहीं थे, जो मैदान में धोनी के साथ हुई थी।
 
30 जून को इंग्लैंड के खिलाफ धोनी धीमा खेले थे, जिसकी चर्चा काफी हुई। असल में उनका अंगूठा चोटिल हो गया था। इसमें से खून रिस रहा था। किसी तरह माही मैदान पर डटे रहे। 
 
जब उनके खून से रिसते अंगूठे को चूसने और फिर थूकने की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई, तब क्रिकेट बिरादरी ने जाना कि धोनी देश की खातिर किस तरह खुद को संभाले हुए थे। 
 
धोनी के देश और खेल के समर्पण भाव पर कभी किसी ने शक नहीं किया। यही कारण है कि कप्तान कोहली से लेकर बल्लेबाजी कोच संजय बांगर तक ने धोनी का बचाव किया। यही बात अलग है कि मैदान और ड्रेसिंग रूम की तकलीफों को इन दोनों ने ही सार्वजनिक नहीं किया। यदि सोशल मीडिया पर धोनी की तस्वीर वायरल नहीं होती तो पता ही नहीं चलता कि यह पूर्व कप्तान कितनी तकलीफों से मैदान संभाले हुए था।
 
इंग्लैंड से मुकाबले के पहले भारतीय टीम ने 6 में से 5 मैच जीते थे जबकि न्यूजीलैंड के साथ उसका मुकाबला बारिश की वजह से रद्द हो गया था। इन मैचों में धोनी ने अपना किरदार बखूबी निभाया था। धोनी ने टीम इंडिया के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोहित शर्मा के साथ 70 रनों की भागीदारी की थी।
 
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महत्वपूर्ण मुकाबले में भी धोनी ने 58 रनों का योगदान दिया था। यह रन मैनचेस्टर के मुश्किल विकेट पर बनाए थे। इंग्लैंड के खिलाफ भी वे 31 गेंदों पर 42 रन के निजी स्कोर पर नाबाद रहे थे। इस तरह धोनी की प्रतिभा और उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाना बेमानी है। धोनी के मुरीद हिंदुस्तान में ही नहीं पूरी दुनिया में हैं। 
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