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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 11 जनवरी 2022 (16:26 IST)

भारत में कोरोना की तीसरी लहर को रोकने में लॉकडाउन बनेगा विकल्प?

भारत में कोरोना की तीसरी लहर को रोकने में लॉकडाउन बनेगा विकल्प? - Will lockdown be an option to stop the third wave of corona in India?
कोरोना की तीसरी लहर के चपेट में आए भारत में लगातार बढ़ता कोरोना संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। मंगलवार को लगातार छठें दिन नए संक्रमण के मामले एक लाख से उपर दर्ज हुए। बीते 24 घंटे में देश में कोरोना संक्रमण के 1,68,063 नए मामले सामने आए। आम हो या खास कोरोना संक्रमण सभी को अपनी चपेट में ले रहा है। भारत रत्न लता मंगेशकर के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट,बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सीएम बोम्मई भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। 
 
केंद्र की राज्यों को चेतावनी-वहीं दूसरी केंद्र सरकार ने राज्यों को कोरोना की मौजूदा लहर को देखते हुए चेतावनी दी है। केंद्र ने कहा कि भले ही मौजूदा स्थितियों में केवल 5 से 10% एक्टिव केस में ही हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ रही हो लेकिन जिस तरह संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं वैसे ही हॉस्पिटलाइजेशन की स्थितियां भी बदल सकती हैं। इसलिए ऑक्सीजन बेड, ICU बेड, वेंटिलेटर सपोर्ट व हेल्थकेयर स्टाफ की उपलब्धता की रोजाना समीक्षा करें व कोविड केयर सेंटर्स को ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की तर्ज पर विकसित करने की भी तैयारी रखें।
 
दिल्ली में नई पाबंदियों का एलान-कोरोना के बढ़ते हुए केस के बाद अब राज्यों ने भी पाबंदियां लगाना तेज कर कर दिया है। दिल्ली में इमरजेंसी सेवाओं के दफ्तर को छोड़कर सभी निजी दफ्तरों को बंद कर दिया गया है। जो निजी कार्यालय अब तक 50  प्रतिशत कार्य क्षमता के साथ काम कर रहे थे, उनसे अब घर से काम करने की प्रक्रिया का पालन करने को कहा गया है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी आदेश के तहत शहर के रेस्तरां और बार बंद करने का भी निर्देश दिया गया है। बहरहाल, रेस्तरां को घर पर भोजन पहुंचाने की सुविधा देने की अनुमति है। इसके अलावा लोग रेस्तरां से पैक कराकर भोजन ले जा सकते हैं। शहर के सरकारी कार्यालय अभी तक 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ काम कर रहे हैं।
 
ऐसे में अब यह सवाल बड़ा हो गया है कि क्या देश एक बार फिर लॉकडाउन की तरफ आगे बढ़ रहा है। सवाल यह भी है कि क्या कोरोना की तीसरी लहर को लॉकडाउन जैसे फैसलों से रोका जा सकता है। लोगों के मन में लॉकडाउन को लेकर उठ रहे सवाल को समझने के लिए वेबदुनिया ने देश के हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले दो प्रमुख विशेषज्ञों से बात की।

‘वेबदुनिया’ से बात करते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख पद्मश्री डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए लॉकडाउन कोई विकल्प नहीं है।

‘वेबदुनिया’ के जरिए सबसे पहले देश में कोरोना की तीसरी लहर की पुष्टि करने वाले डॉक्टर रमन गंगाखेडकर स्पष्ट रूप से कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में लॉकडाउन विकल्प नहीं है और न ही लॉकडाउन जैसे तरीकों से तीसरी लहर को रोका जा सकता है। 
 
वह आगे कहते हैं कि लॉकडाउन का तरीका तब कारगर होता है जब वायरस कहीं बाहर से ट्रैवल कर आ रहा हो, लेकिन अब भारत में ऐसा कुछ नहीं है। कोरोना वायरस अब हर जगह मौजूद है। वहीं जब कोरोना के चलते देश मे पहली बार 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगाया गया था तब कोरोना वायरस के केस देश में बहुत कम स्थानों पर ही दिखाई दिए थे और तब लॉकडाउन इसलिए लगाया गया था कि लोग देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सके और कोरोना वायरस को फैलने से रोक सके लेकिन आज की परिस्थितियां एक दम अलग है। आज चारों तरफ कहीं कम, कहीं ज्यादा कोरोना वायरस के संक्रमित केस मौजूद है ऐसे में लॉकडाउन लगाना मुनासिब नहीं है। 

डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि मेरे विचार से लॉकडाउन लगाने का असर इसका उलटा होगा और कोरोना वायरस की दूसरी लहर का लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा हमारी इकोनॉमी पर पड़ेगा और अब लॉकडाउन से इकोनॉमी फिर से दो से तीन साल पीछे चली जाएगी। 
 
वहीं बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में लॉकडाउन से कोई फायदा नहीं है। इसके उलट लॉकडाउन जैसे फैसलों से कोरोना की तीसरी लहर और लंबे समय तक चलेगी। इसका कारण यह है जब तक एक बड़ी आबादी इस नई लहर में नए वैरिएंट से संक्रमित नहीं होगी तब तक यह लहर कमजोर नहीं पड़ेगी।

इसके साथ जब कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमित केसों में कोई सीरियस इंफेक्शन और डेथ नहीं है तब लॉकडाउन जैसे फैसलों से आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान हो जाएगा। इसलिए मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि लॉकडाउन जैसे फैसले से फायदा नहीं नुकसान ही है।