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Last Updated : बुधवार, 5 मई 2021 (21:44 IST)

विदेश मंत्री जयशंकर बोले- कोरोना की दूसरी लहर है बहुत बड़ी चुनौती, इस पीड़ा में दुनिया है हमारे साथ...

विदेश मंत्री जयशंकर बोले- कोरोना की दूसरी लहर है बहुत बड़ी चुनौती, इस पीड़ा में दुनिया है हमारे साथ... - What did External Affairs Minister Minister S. Jaishankar say on the second wave of Corona
लंदन। विदेश मंत्री एस. जयंशकर ने कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर को बहुत बड़ी चुनौती बताया और दुनियाभर के देशों की सद्भावना को कूटनीति में एकजुटता की भावना बताकर उनका स्वागत किया।

जी-7 विदेश एवं विकास मंत्रियों की बैठक में अतिथि मंत्री के तौर पर हिस्सा लेने के लिए 4 दिवसीय यात्रा पर ब्रिटेन पहुंचे, जयशंकर ने माना कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है, लेकिन टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाने और वैश्विक महामारी की तात्कालिकता के इतर भी देश की जरूरतों को समझने के लिए एक योजना तैयार की गई है।

उन्होंने ब्रिटेन स्थित मीडिया संगठन इंडिया इंक ग्रुप और लंदन में भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोगित वैश्विक संवाद श्रृंखला के एक कार्यक्रम में कहा, भारत को संकट के इस क्षण में एहसास है कि पूरी दुनिया हमारे साथ है।जयशंकर ने कहा, हम इससे उबर जाएंगे। लेकिन इस सबसे एक बड़ा सबक मिलता है...एकुजटता की भावना है। मैं लंदन में यहां यह महूसस कर रहा हूं क्योंकि लगभग सभी देश उस से गुजर चुके हैं, जिससे फिलहाल हम गुजर रहे हैं। वे हमारे लिए भावनाएं रखते हैं।

विदेश मंत्री ने भारत को ब्रिटेन, अमेरिका, खाड़ी देशों और अन्य की तरफ से बेहद जरूरी चिकित्सीय आपूर्तियों के लिए मदद दिए जाने का संदर्भ देते हुए कहा, यह वैश्विक महामारी न सिर्फ महत्‍वपूर्ण बदलाव लेकर आई है बल्कि यह विचारों में बदलाव लेकर आई है।
आज मैं कूटनीति में एकजुटता देख रहा हूं।इंडिया इंक के सीईओ मनोज लाडवा के साथ वार्ता सत्र के दौरान मंत्री से पूछा गया कि क्या वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के संबंध में सरकार ध्यान नहीं दे रही थी, जिससे कारण वहां हाल के हफ्तों में दुनिया की कुछ सबसे ज्यादा संक्रमण की दरें देखने को मिलीं हैं।
इस पर विदेश मंत्री ने कहा, बार-बार परामर्श जारी किए जा रहे थे और जन स्वास्थ्य टीमों को भेजा जा रहा था। ऑक्सीजन उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए। दुर्भाग्य से सच्चाई यह है कि जैसे ही मामले घटने शुरू हुए लोगों में आत्मविश्वास आने लगा। यह निश्चित तौर पर किसी को दोष देने का समय नहीं है लेकिन मैं नहीं सोचता कि देश में कोई भी यह कह सकता है कि हमने सुरक्षा में कभी चूक नहीं की।
उन्होंने कहा, दूरदर्शिता के लाभ को देखते हुए यह कहना आसान होता है कि हमें किसी तरह के जमावड़े की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा समय भी आता है जब हमें तैयार रहना चाहिए और दोषारोपण नहीं करना चाहिए...हम बेहद लोकतांत्रिक एवं राजनीतिक देश हैं और एक लोकतंत्र में यह मुमकिन नहीं कि चुनाव न हों। चुनाव अटल हैं।

देश की स्वास्थ्य अवसंरचना के संदर्भ में उन्होंने कहा, स्वास्थ्य तंत्र पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। यह पूरी तरह साफ है कि 75 वर्षों से हमने स्वास्थ्य में बहुत कम निवेश किया है।उन्होंने कहा, दरअसल, इसी का एहसास करते हुए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत पर जोर दे रहे थे।

जयशंकर ने मजबूत सरकारी व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा, स्वास्थ्य मूलभूत अधिकार है, लेकिन संकट के समय में लोगों को नीतिगत स्पष्टीकरण नहीं चाहिए होता। उन्हें जमीन पर व्यावहारिक उत्तर चाहिए होते हैं।विदेश मंत्री ने कहा कि देश को फिर से पैरों पर खड़ा करने के लिए एक नहीं बहुत सी योजनाओं पर काम किया जा रहा है।(भाषा)