शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. supreme court asks government to prevent migration of people due to coronavirus
Written By
Last Modified: मंगलवार, 31 मार्च 2020 (21:58 IST)

Corona virus : पलायन पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार को 24 घंटे के अंदर पोर्टल बनाने के निर्देश

Corona virus : पलायन पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार को 24 घंटे के अंदर पोर्टल बनाने के निर्देश - supreme court asks government to prevent migration of people due to coronavirus
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण कामगारों के पलायन को रोकने और 24 घंटे के भीतर इस महामारी से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए एक पोर्टल बनाने का केन्द्र को मंगलवार को निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस पोर्टल से महामारी से संबंधित सही जानकारी जनता को उपलब्ध कराई जाए।
 
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केन्द्र को यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यह दहशत वायरस से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगा।
पुलिस बल का प्रयोग न करे : पीठ ने केन्द्र से कहा कि देश के तमाम आश्रयगृहों में पनाह लिए इन कामगारों का चित्त शांत करने के लिए प्रशिक्षित परामर्शदाताओं और सभी आस्थाओं के समुदायों के नेताओं की मदद ले। पीठ ने कहा कि इन आश्रयगृहों का संचालन पुलिस को नहीं बल्कि स्वंयसेवकों को करना चाहिए और उनके साथ किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं होना चाहिए।
 
सैनेटाइज के छिड़काव उचित नहीं : पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह पलायन कर रहे इन कामगारों को रोके और उनके भोजन, रहने और चिकित्सा सुविधा आदि का बंदोबस्त करे।
 
केन्द्र ने इन कामगारों को सैनिटाइज करने के लिए उन पर रसायनयुक्त पानी का छिड़काव करने के एक याचिकाकर्ता के सुझाव पर कहा कि यह वैज्ञानिक तरीके से काम नहीं करता है और यह उचित तरीका नहीं है।
 
सरकारी वकीलों को निर्देश : शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों को इन कामगारों के मसले पर विचार करने से रोकने से इंकार कर दिया और कहा कि वे अधिक बारीकी से इस मामले की निगरानी कर सकते हैं। 
 
हालांकि, न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह शीर्ष अदालत के आदेशों के बारे में उच्च न्यायालयों को अवगत कराने के लिए सरकारी वकीलों को निर्देश दे।
 
7 अप्रैल को होगी सुनवाई : पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह कोरोना वायरस महामारी के मुद्दे के संदर्भ में केरल के कासरगोड के सांसद राजमोहन उन्नीथन और पश्चिम बंगाल के एक सांसद की पत्र याचिकाओं पर विचार करे। 
 
न्यायालय ने इन याचिकाओं की सुनवाई 7 अप्रैल के लिए स्थगित करते हुये केन्द्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कामगारों के आश्रय स्थलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्वयंसेवियों को सौंपी जाए और इनके साथ किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया जाए।
दूसरे स्थान जाने की अनुमति नहीं : केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस समय लोगों को दूसरे स्थान जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे कोरोना वायरस को फैलने का अवसर मिलेगा। 
मेहता ने कहा कि करीब 4.14 करोड़ कामगार काम के लिए दूसरे स्थानों पर गए थे, लेकिन अब कोरोनावायरस की दहशत से लोग वापस लौट रहे हैं। 
 
सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इस महामारी से बचाव और इसके फैलाव को रोकने के लिए समूचे देश को लॉकडाउन करने की आवश्यकता हो गई है ताकि लोग दूसरों के साथ घुले-मिले नहीं और सामाजिक दूरी बनाने के सूत्र का पालन करते हुये एक दूसरे से मिल नहीं सकें।
 
मेहता ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि कामगारों का पलायन नहीं हो। ऐसा करना उनके लिये और गांव की आबादी के लिए भी जोखिम भरा होगा। जहां तक ग्रामीण भारत का सवाल है तो यह अभी तक कोरोना वायरस के प्रकोप से बचा हुआ है लेकिन शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जा रहे 10 में से 3 व्यक्तियों के साथ यह वायरस जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पलायन पूरी तरह प्रतिबंधित करने के बारे में राज्यों को आवश्यक परामर्श जारी किए गए हैं और केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार करीब 6,63,000 व्यक्तियों को अभी तक आश्रय प्रदान किया जा चुका है।
 
उन्होंने कहा कि 22,88,000 से ज्यादा व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है क्योंकि ये सभी जरूरतमंद, एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे कामगार और दिहाड़ी मजदूर हैं जो कहीं न कहीं पहुंच गए हैं और उन्हें रोककर आश्रय गृहों में ठहराया गया है।
 
पीठ ने शुरू में टिप्पणी की, ‘‘हम 24 घंटे के भीतर सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए पोर्टल के बारे में आदेश पारित करेंगे। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन लोगों को आपने रोका है उनकी सही तरीके से देखभाल हो और उन्हें भोजन, रहने की जगह, पौष्टिक आहार और चिकित्सा सुविधा मिले। आप उन मामलों को भी देखेंगे जिनकी पहचान आपने कोविड-19 मामले और अलग रहने के लिए की है।
 
काउंसलिंग की व्यवस्था : मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार जल्द एक ऐसी व्यवस्था लागू करेगी जिसमें कामगारों के व्याप्त भय पर ध्यान दिया जाएगा और उनकी काउन्सलिंग भी की जायेगी।
 
पीठ ने मेहता से सवाल किया- आप कब ये केन्द्र स्थापित कर देंगे? परामर्शदाता कहां से आ रहे हैं? उन्हें आप कहां भेजेंगे?’’
 
कितने काउंसलर : मेहता ने कहा कि जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से इन प्रशिक्षित काउन्सलर को भेजा जाएगा, इस पर पीठ ने कहा कि देश में 620 जिले हैं। आपके पास कुल कितने काउन्सलर हैं? हम आपसे कहना चाहते हैं कि यह दहशत वायरस से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगा। पीठ ने कहा कि आप भजन, कीर्तन, नमाज या जो चाहें कर सकते हैं लेकिन आपको लोगों को ताकत देनी होगी।
 
इस पर मेहता ने कहा कि प्राधिकारी आश्रय गृहों में पनाह लिये कामगारों को सलाह देने और उनमें आत्मविश्वास पैदा करने के लिए धार्मिक नेताओं को लायेंगे ताकि ये श्रमिक शांत होकर वहां रह सकें।
 
24 घंटे का दिया आश्वासन : मेहता ने कहा कि मैं यहां बयान दे रहा हूं कि 24 घंटे के भीतर हम प्रशिक्षित परामर्शदाताओं और धार्मिक नेताओं को तैयार कर लेंगे। 
 
पीठ ने कहा कि इस काम में सभी आस्थाओं के धार्मिक नेताओं की मदद ली जानी चाहिए ताकि उनमें व्याप्त भय समाप्त किया जा सके। 
 
मेहता ने पीठ से कहा कि इन कामगारों के पलायन को लेकर केरल उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की गयी है। चूंकि अब शीर्ष अदालत इस पर गौर कर रही है, इसलिए अन्य अदालतों को इस पर विचार नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि इस तरह की स्थिति में, हमें इन मामलों की सुनवाई करने से उच्च न्यायालयों को नहीं रोकना चाहिए। उच्च न्यायालय ज्यादा बारीकी से इनकी निगरानी करने में सक्षम हो सकते हैं। (भाषा) 
ये भी पढ़ें
Ground Report : राजस्थान की राजधानी जयपुर के आसमान में उड़ता 'कोरोना'!