चंडीगढ़ के अस्पताल में Corona से ऐसे जंग लड़ रहे हैं मासूम...
चंडीगढ़। कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चे अस्पताल के पृथक वार्ड और पीपीई पहने डॉक्टरों के साथ खुद को सहज कर पाने में जहां बेचैनी से गुजर रहे हैं वहीं पंजाब और चंडीगढ़ के स्वास्थ्य अधिकारी उन्हें खिलौनों, बोर्ड गेम और नियमित काउंसलिंग की मदद से व्यस्त रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
जालंधर सिविल अस्पताल में, कोरोना वायरस की जांच में संक्रमित पाई गई दो बहनों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें खिलौने और कैरम बोर्ड दिया गया है जबकि चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में वायरस से संक्रमित बच्चों को टीवी पर कार्टून दिखाकर या ड्राइंग सत्र चला कर व्यस्त रखा जा रहा है। पृथक वार्ड में बच्चों को व्यस्त रखना स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।
जालंधर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी कश्मीरी लाल ने कहा, ‘हमने उन्हें सहज महसूस कराने के लिए खेलने को कैरम बोर्ड और लूडो दिया है। उन्होंने बताया कि वार्ड में टेलीविजन भी लगाया गया है।‘
लाल ने बताया कि छह और सात साल की दो बहनें अपने दादा के बीमारी की चपेट में आने के बाद जांच में संक्रमित पाई गई। उन्होंने कहा कि हमारे मनोचिकित्सक नियमित तौर पर उनकी काउंसलिंग करते हैं ताकि वे सहज रहें।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को अस्पताल में रखने के लिए उनके माता-पिता को रजामंद करना सबसे बड़ी चुनौती है।
पीजीआईएमईआर के मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्राध्यापक स्वपनजीत साहू ने कहा, ‘उन्हें बच्चों को यहां लाने के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती है क्योंकि वे आने के लिए तैयार नहीं होते।‘
उन्होंने बताया कि अस्पताल पहुंचने और पृथक वार्ड में भर्ती कराए जाने के बाद वे अक्सर डर जाते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा था। बच्चे डॉक्टरों को पीपीई किट में देखकर रोने लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर उनकी काउंसलिंग करते हैं ताकि उनकी बेचैनी कम हो।‘
साहू ने कहा,’हम उन्हें बताने की कोशिश करते हैं कि उनके माता-पिता ठीक हैं और वे कुछ ही समय के लिए अस्पताल में हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को कॉमिक्स की डिजिटल कॉपी भी व्हाट्सऐप पर उपलब्ध कराई जाती है।‘
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि यहां भर्ती बच्चों के परिवार का एक न एक सदस्य वायरस से जरूर संक्रमित है और इलाज के लिए भर्ती है। वर्तमान में यहां 4 बच्चे - 1 माह और 6 माह का शिशु, डेढ़ साल का बच्चा और 8 साल का बच्चा भर्ती है। (भाषा)
चित्र सौजन्य : ट्विटर/PIB चंडीगढ़