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Last Modified: शुक्रवार, 1 मई 2020 (19:07 IST)

इस्पात उद्योग को सरकार, रेलवे, बैंकों के बकाया भुगतान के लिए मिलें कुछ रियायतें : टाटा स्टील

इस्पात उद्योग को सरकार, रेलवे, बैंकों के बकाया भुगतान के लिए मिलें कुछ रियायतें : टाटा स्टील - Steel industry should get some concessions for payment of dues to the government, railways and banks
नई दिल्ली। इस्पात उद्योग का कहना है कि सरकार, रेलवे और बैंकों के बकाया के भुगतान में कुछ लचीलापन मिलने से कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 की वजह से नकदी का संकट झेल रहे इस्पात क्षेत्र को उबरने में मदद मिल सकती है। टाटा स्टील के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक ने टीवी नरेंद्रन ने यह राय जताई है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस्पात विनिर्माण में काम आने वाले कच्चे माल पर शुल्क में कुछ राहत से भारतीय इस्पात उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है। नरेंद्रन ने कहा, उद्योग कई मुद्दों पर अपनी मांग सरकार के समक्ष पहले ही रख चुका है।

नरेंद्रन ने कहा, हम चाहते हैं कि इस्पात उद्योग को नकदी संकट से निकालने के लिए सरकार, रेलवे और बैंकों के बकाया के भुगतान के लिए कुछ अधिक समय दिया जाए। इसमें निर्यात में समर्थन भी शामिल है। हम घरेलू बाजार की तुलना में निर्यात पर अधिक निर्भर हैं।

नरेंद्रन ने कहा, कोविड-19 की वजह से पैदा हुए संकट से बाहर निकलने के लिए उद्योग को समर्थन के मुद्दे पर सरकार हमारे साथ नजदीकी से काम कर रही है। उन्होंने कहा, सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र संघर्ष कर रहा है।

नरेंद्रन ने कहा, एकल डाउनस्ट्रीम इकाइयों को लॉकडाउन के पहले तीन सप्ताह तक परिचालन की अनुमति नहीं मिली। बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर सरकार को जल्द खर्च करने की जरूरत है। सरकार को उद्योग की फंसी बकाया राशि को जल्द जारी करना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ाया जा सके।

टाटा स्टील के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है। इसके अलावा ‘मेक इन इंडिया’ पर भी फिर से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। नरेंद्रन ने कहा कि हम इस संकट को अवसर में बदलना चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या इस्पात कंपनियां कच्चे माल पर शुल्क कटौती चाहती हैं, नरेंद्रन ने कहा कि सरकार उद्योग की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कच्चे माल विशेषरूप से धातुकर्म कोयले पर आयात शुल्क से उद्योग की लागत बढ़ती है। इससे भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता कम होती है।

राष्ट्रव्यापी बंद के बारे में पूछे जाने पर नरेंद्रन ने कहा कि शुरुआती दिनों में चुनौती संयंत्र को चलाने की थी। बेशक कम क्षमता पर ही। निर्माण उद्योग इस्पात के सबसे बड़े उपभोक्ता में से है। बंद से यह भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। इस्पात उद्योग आर्डरों के लिए निर्यात बाजार पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, हालांकि पिछले कुछ दिनों में घरेलू खपत में कुछ बढ़ोतरी दिख रही है। हमारे कुछ ग्राहकों को परिचालन शुरू करने की अनुमति मिल गई है और अनुबंध मिलने तथा और साइटों को परिचालन की अनुमति मिलने के बाद मुझे उम्मीद है कि गतिविधियां बढ़ेंगी।(भाषा)
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