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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 1 जुलाई 2021 (17:38 IST)

Positive story: बच्चों को जल्द मिल सके वैक्सीन इसलिए डॉक्टर ने अपने और भाई के बच्चों पर कराया वैक्सीन का ट्रायल

अपने बच्चों को वैक्सीन ट्रायल में शामिल कराने वाले डॉ आशीष के हौंसले और जज्बे की कहानी

Positive story: बच्चों को जल्द मिल सके वैक्सीन इसलिए डॉक्टर ने अपने और भाई के बच्चों पर कराया वैक्सीन का ट्रायल - Special story on Dr. Ashish Singh's efforts for children's vaccine
आज पूरा देश डॉक्टर्स डे मना रहा हैं। देश उन कोरोना योद्धाओं को धन्यवाद दे रहा है जिन्होंने महामारी के दौर में धरती पर भगवान के रूप में लोगों की रक्षा की। कोरोनाकाल के विकट दौर में इंसानियत की नई इबारत रचने वाले डॉक्टर्स कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए किस सेवा और समर्पण भाव से जुटे हुए है इसकी कहानी को बयां करती है लखनऊ के वरिष्ठ  बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आशीष प्रताप सिंह की कहानी।
 
बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर होने के नाते डॉक्टर आशीष कोरोना की संभावित तीसरी लहर की घातकता और बच्चों पर उसके प्रभाव को अच्छी तरह से जानते और समझते है। बच्चों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध हो सके इसके लिए जरुरी है कि बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल जल्द से जल्द पूरा हो। 
 
लखनऊ से 100 किलोमीटर दूर कानपुर में बच्चों पर हो रहे वैक्सीनेशन ट्रायल में अपने बच्चों को शामिल कराकर डॉक्टर आशीष ने वह कदम उठाया है जिससे कि आज ‘वेबदुनिया’ डॉक्टर्स डे के अवसर पर उनके हौंसले,जुनून और जज्बे को सलाम कर रहा है। 
 
दरअसल कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए बच्चों पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल हो रहा है लेकिन अधिकतर लोग अपने बच्चों पर ट्रायल करने से बच रहे है। ऐसे में डॉक्टर आशीष ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने दोनों बच्चों के साथ अपने भाई के बच्चों को ट्रायल में कोविड वैक्सीन लगवाई है।      
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर आशीष कहते हैं कि पूरे देश को इंतजार बच्चों की वैक्सीन का है। ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि जल्द से जल्द वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो जाए। इसलिए एक डॉक्टर होने के नाते मैंने यह जिम्मेदारी समझी और अपने बच्चों के साथ-साथ अपने बड़े भाई के बच्चों को भी वैक्सीन ट्रायल में शामिल कराया।
बातचीत में डॉ आशीष कहते हैं कि पहले ही वैक्सीन को लेकर बहुत ही भ्रम और अफवाह फैल चुका है इसलिए एक डॉक्टर होने के नाते उनका नैतिक कर्तव्य भी हो जाता हैं कि अपने बच्चों को वैक्सीन का ट्रायल डोज लगवा कर पूरे समाज को एक अच्छा संदेश दें। वह कहते हैं कि कोरोना की तीसरी संभावित लहर से लड़ने के लिए वैक्सीन ही एक रास्ता है।  
 
वहीं अपने दो बेटियों को वैक्सीनेशन ट्रायल में शामिल कराने वाले डॉक्टर आशीष के भाई अजीत सिंह कहते हैं कि मैं खुद कोरोना संक्रमण से जूझ चुका हूं और बीमारी की घातकता को अच्छी तरह से जान चुका हूं इसलिए जरुरी है कि जल्द से जल्द बच्चों कै वैक्सीन उपलब्ध हो। अजीत कहते हैं कि आखिर बच्चों पर ट्रायल के लिए किसी न किसी पेरेंट्स को तो आगे आना ही होता इसलिए उन्होंने अपने जिम्मेदारी समझते हुए अपने दोनों बेटियों को वैक्सीन ट्रायल में शामिल कराया जिससे की समाज के लिए कुछ कर सके।

कहते हैं कि बच्चों की सबसे अधिक फ्रिक मां को होती है। अपनी दो बेटियों को वैक्सीन ट्रायल में शामिल करने के लिए तैयार होने वाली ईरा सिंह कहती हैं कि उन्हें अपने देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों पर पूरा भरोसा है और इसलिए बिना किसी डर के बच्चों को वैक्सीन ट्रायल में शामिल किया। वह कहती है कि बुधवार को कानपुर में  वैक्सीन लगवाने के बाद वह लोग रात में लखनऊ लौट आए और आज बच्चे सामान्य दिनों के तरह पढ़ाई और खेलकूद में व्यस्त है और उनको कोई भी परेशानी नहीं है।