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Last Modified: मंगलवार, 21 अप्रैल 2020 (23:42 IST)

कच्चे तेल के दाम गिरने से भारत में सस्ता नहीं होगा पेट्रोल-डीजल

कच्चे तेल के दाम गिरने से भारत में सस्ता नहीं होगा पेट्रोल-डीजल - petrol diesel prices in india not cheap despite crude oil prices being at historic lows here is why
नई दिल्ली। अमेरिका के कच्चे तेल बाजार में आए ‘जलजले’ से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ी कटौती नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि भारत में ईंधन के घरेलू दाम अलग ‘बेंचमार्क’ से तय होते हैं और रिफाइनरियों के पास पहले से कच्चे तेल का पर्याप्त भंडार है और वे अभी अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद नहीं कर रही हैं।
 
अमेरिकी बाजार में मची उथल-पुथल के बीच कच्चे तेल के दाम इस कदर गिरे कि तेल खरीदार उसे उठाने को तैयार नहीं हैं और बेचने वाले को फिलहाल उसे अपने भंडारगृह में रखने को कह रहे हैं। हो सकता है इसके लिए उन्हें भुगतान भी करना पड़े।
 
कच्चे तेल का उत्पादन और इसकी उपलब्धता जरूरत से ज्यादा होने के बीच कोरोना वायरस की वजह से मांग घटने के चलते कारोबारी अपने अवांछित स्टॉक को जल्द से जल्द निकालना चाह रहे हैं। इससे मई डिलिवरी के अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल के दाम ‘ढह’ गए।
 
इंडियन ऑइल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि कारोबारी पहले से बुक किए गए ऑर्डर की डिलिवरी नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि मांग नहीं है। इस वजह से अमेरिका में कच्चे तेल के दाम नीचे आए हैं। वे तेल को विक्रेता द्धारा उसके भंडार में रखने के लिए उल्टा उसे भुगतान कर रहे हैं। 
 
सिंह ने कहा कि यदि आप जून के वायदा को देखें तो यह सकारात्मक रुख में करीब 20 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। 
 
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के निचले दाम लघु अवधि के लिए तो अच्छे हैं, पर दीर्घावधि में यह तेल आधारित अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेंगे, क्योंकि उत्पादकों के पास खोज और उत्पादन के लिए निवेश करने को अधिशेष नहीं होगा। इससे अंतत: उत्पादन घटेगा। हालांकि उन्होंने ईंधन के खुदरा दामों पर कोई टिप्पणी नहीं की, जो 16 मार्च से स्थिर हैं।
 
 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोलियम कंपनियों ने ईंधन दामों में कटौती नहीं की है। पहले उन्होंने इसे 3 रुपए प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क बढ़ोतरी और 1 अप्रैल से बेचे जा रहे स्वच्छ भारत चरण-छह ईंधन पर लागत में करीब 1 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी के साथ समायोजित किया।
 
 दिल्ली में पेट्रोल 69.59 रुपए और डीजल 62.29 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है।
 
 इस बीच इंडियन ऑइल कॉरपोरेशन ने बयान में कहा कि अमेरिका में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) तेल भारी गिरावट के साथ शून्य से नीचे 37.63 डॉलर प्रति बैरल पर बोला गया। इसकी वजह अंतिम तारीख से एक दिन पहले 20 मई के आपूर्ति अनुबंध की घबराहटपूर्ण बिकवाली है। यदि वे ऐसा नहीं करते तो कोविड-19 की वजह से मांग में आई भारी गिरावट के बीच उन्हें डिलिवरी लेनी होती। भंडारण की परेशानी है।
 
 बयान में कहा गया है कि 20 जून का डब्ल्यूटीआई वायदा और 20 मई का आईसीई ब्रेंट अब भी 16 डॉलर प्रति बैरल और 21 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं।
 
 एनर्जी एंड एनवायरमेंट स्टडीज, गेटवे हाउस के फेलो अमित भंडारी ने कहा कि नकारात्मक कीमतों का भारत या भारत में ईंधन कीमतों पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। भारत में दाम अलग बेंचमार्क से निर्धारित होते हैं जो इस समय 25 डॉलर प्रति बैरल है। ऐसे में भारत में ईंधन की खुदरा कीमतों में कमी नहीं आएगी।
 
 भारत में रिफाइनरियों के पास पहले से ही जरूरत से अधिक भंडार है। राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से ईंधन की मांग में भारी गिरावट आई है। ऐसे में वे अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद नहीं कर सकतीं। रिफाइनरियों ने पहले ही अपना परिचालन आधा कर दिया है क्योंकि वे पहले उत्पादित ईंधन को ही नहीं बेच पाई हैं।
 
भंडारी ने कहा कि भारत प्रतिदिन 40 लाख बैरल कच्चे तेल (1.4 अरब बैरल सालाना) का आयात करता है। पिछले पांच साल के दौरान कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल से पिछले साल 50-60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। भारत को इसका लाभ हुआ और वह सार्वजनिक सेवा कार्यक्रमों में निवेश कर सका।
 
इस बीच रियाद से मिली खबरों के अनुसार तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के प्रमुख देश सऊदी अरब ने कहा है कि उसकी कच्चे तेल के बाजार पर नजर है और वह जरूरत होने पर और कदम उठाने को तैयार है।
(भाषा)
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