Indus Water Treaty स्थगन पर पाकिस्तान की बिलबिलाहट, गिड़गिड़ा रहे शाहबाज को भारत ने दिखाया आईना
पाकिस्तान की धरती से जारी सीमा पार आतंकवाद को सिंधु जल संधि के कार्यान्वयन में बाधा बताते हुए भारत ने कहा कि पड़ोसी देश को इस संधि के उल्लंघन के लिए उस पर दोष मढ़ना बंद कर देना चाहिए। शुक्रवार को ताजिकिस्तान के दुशांबे में हिमनदों पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के जरिए संधि का उल्लंघन कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान द्वारा मंच का दुरुपयोग करने तथा ऐसे मुद्दों का अनुचित संदर्भ लाने के प्रयास से स्तब्ध हैं जो मंच के दायरे में नहीं आते। हम ऐसे प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं। सिंह ने कहा कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से परिस्थितियों में बुनियादी बदलाव हुए हैं, जिसके लिए संधि के दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इन परिवर्तनों में तकनीकी प्रगति, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और सीमा पार आतंकवाद का खतरा शामिल है। मंत्री ने कहा कि संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि इसे सद्भावना और मैत्री की भावना से संपन्न किया गया, और इस संधि का सद्भावपूर्वक सम्मान करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संधि का उल्लंघन करता रहा है। उसे संधि के उल्लंघन का दोष भारत पर मढ़ने से बचना चाहिए। हिमनदों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत को संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए सिंधु जल संधि को स्थगित रखकर तथा लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डालकर हद पार करने की अनुमति नहीं देगा।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने शरीफ के हवाले से कहा है, सिंधु बेसिन के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का भारत का एकतरफा और अवैध निर्णय अत्यंत खेदजनक है। जम्मू - कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने संधि को स्थगित करने समेत पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदमों की घोषणा की थी। भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता था। यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को नियंत्रित करती है।
हिमनदों पर तीन दिवसीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और जल-संबंधी चुनौतियों से निपटने में हिमनदों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है। यह सम्मेलन शनिवार को समाप्त हो रहा है। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के 80 सदस्य देशों और 70 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। (भाषा) Edited by: Sudhir Sharma