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Last Updated : शुक्रवार, 19 जून 2020 (02:21 IST)

50,000 करोड़ रुपए की रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत करेंगे मोदी

50,000 करोड़ रुपए की रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत करेंगे मोदी - nirmala sitharaman on garib kalyan rojgar abhiyaan for migrant workers
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को प्रवासी श्रमिकों को आय समर्थन देने के लिए 50,000 करोड़ रुपए के ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ की शुरुआत करेंगे। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों को लौटे हैं जहां उनके समक्ष रोजगार की समस्या खड़ी हुई है।
 
यह योजना मुख्य रूप से उन छह राज्यों पर केंद्रित होगी, जहां सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक अपने घरों को लौटे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि इस बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना से घर लौटे श्रमिकों को सशक्त किया जा सकेगा और उन्हें 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
 
प्रधानमंत्री मोदी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 20 जून को ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ का शुभारंभ करेंगे।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं बिहार सरकार के साथ 20 जून को इस अभियान का शुभारंभ करूंगा। इसके तहत मिशन के रूप में छह राज्यों में 50,000 करोड़ रुपए का कार्य किया जाएगा।’ यह अभियान बिहार के खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड के तेलिहर गांव से शुरू किया जाएगा। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
 
सीतारमण ने कहा, ‘इस अभियान के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओड़िशा के 116 जिलों में प्रत्एक से 25,000 श्रमिकों को इस अभियान के लिए चुना गया है। इनमें 27 पिछड़े जिले भी शामिल हैं। इन जिलों के तहत करीब 66 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक इसमें शामिल होंगे। छह राज्यों के 116 जिलों के गांव इस कार्यक्रम से साझा सेवा केंद्रों (सीएससी) और कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए जुड़ेंगे। 
 
यह अभियान 125 दिनों का है, जिसमें प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए 25 अलग तरह के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही इसके जरिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा खड़ा किया जाएगा। इसके लिए 50,000 करोड़ रुपए के संसाधन लगाए जाएंगे।
 
सीतारमण ने कहा कि यह 50,000 करोड़ रुपए बजट का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सभी जिलों में घर लौटे श्रमिकों से सीधे संपर्क कर रहे हैं। हम धनराशि को पहले खर्च के लिए ला रहे हैं। इसमें अपने जिलों में पहुंचे सभी प्रवासी श्रमिक संपत्ति सृजन का हिस्सा होंगे।’
 
उन्होंने कहा कि इस योजना का समन्वय 12 अलग-अलग मंत्रालय करेंगे जिनमें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, खनन, पेयजल एवं स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़क, दूरसंचार और कृषि मंत्रालय शामिल हैं।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की 25 योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा और ए श्रमिक ग्राम पंचायत भवन और आंगनवाड़ी केंद्र, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे और जल संरक्षण परियोजनाओं में काम करेंगे।
 
सीतारमण ने कहा, ‘हम 116 जिलों में 25 अलग-अलग कार्यों के लिए आवंटित धन को पहले ही उपलब्ध कराना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि इन जिलों के सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल सके।’
 
यह पूछे जाने पर कि पश्चिम बंगाल को इस अभियान में क्यों नहीं शामिल किया गया, ग्रामीण विकास मंत्री एनएन सिन्हा ने कहा कि जब यह कार्यक्रम तैयार किया जा रहा था उस समय राज्य ने अपने घर लौटने वाले श्रमिकों का आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया था। 
 
उन्होंने कहा, ‘अन्य जिलों के लिए कोई रोक नहीं है (कम से कम 25,000 प्रवासी श्रमिक) इस अभियान में शामिल हो सकते हैं है। यदि हमें आंकड़ा मिलेगा, तो भविष्य में निश्चित रूप से उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा।’
 
इस सवाल पर कि क्या इस कार्यक्रम को 125 दिन से आगे बढ़ाया जा सकता है, सीतारमण ने कहा कि हम उन्हें फिलहाल चार महीने के लिए स्पष्ट, ठोस रूपरेखा दे रहे हैं। आगे चलकर देखते हैं कि कितने श्रमिक रुके रहते हैं। सरकार एक वृहद रूपरेखा लेकर आई है जिसके जरिए उन्हें तत्काल आजीविका उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि बिहार के 32 और उत्तर प्रदेश के 31 जिले इस अभियान का हिस्सा हैं।
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