अहमदाबाद/ मुंबई। कोविड-19 को मात दे चुके मरीजों पर म्यूकोरमाइकोसिस (कवक संक्रमण) का खतरा मंडरा रहा है। महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि इस संक्रमण के मामले कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं और जिसकी वजह से उनमें आंखों की रोशनी चले जाना और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो रही है।
सूरत स्थित किरण सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष माथुर सवानी ने बताया कि कोविड-19 से तीन हफ्ते पहले ठीक हुए मरीज में म्यूकोरमाइकोसिस का पता चला है। म्यूकोरमाइकोसिस के लिए 50 रोगियों का इलाज चल रहा है जबकि 60 और मरीज इसके इलाज का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक सात मरीज अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं।
रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर प्रभारी डॉ.केतन नाइक ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए सूरत सिविल अस्पताल में उनका इलाज करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है।
अहमदाबाद के आरवा सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि रोजाना कम से कम पांच म्योकोरमाइकोसिस मरीजों का ऑपरेशन हो रहा है।
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में आंख-कान-नाक के डॉक्टर देवांग गुप्ता ने बताया कि यहां हमारे पास रोज पांच से 10 मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के आ रहे हैं, खासतौर पर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद। इन मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा रही है और यथाशीघ्र ऑपरेशन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पांच में से एक मरीज आंखों से जुड़ी समस्या लेकर आ रहा है। उनमें से कई अंधेपन का सामना कर रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने के अनुसार, महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस से कम से कम आठ लोग अपनी दृष्टि खो चुके हैं। ये लोग कोविड-19 को मात दे चुके थे, लेकिन काले कवक की चपेट में आ गए। राज्य में ऐसे लगभग 200 मरीजों का उपचार चल रहा है।।
उन्होंने कहा, वे लोग कोविड-19 से बच गए थे, लेकिन कवक संक्रमण ने उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला किया।
डॉक्टर लहाने ने कहा कि कवक संक्रमण की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है।
उन्होंने बताया, ऐसी परिस्थिति में कवक मरीज को आसानी से संक्रमित कर देता है। ऐसे ही एक मामले में मरीज की आंख स्थायी रूप से निकालनी पड़ी ताकि उसकी जान बचाई जा सके।
डॉ.लहाने ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस का लक्षण सिरदर्द, बुखार, आंखों के नीचे दर्द, नाक या साइनस में जकड़न और आंशिक रूप से दृष्टि बाधित होना है। उन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए 21 दिनों तक इंजेक्शन लगाना पड़ता है और एक दिन के इंजेक्शन का खर्च करीब नौ हजार रुपए है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने भी शुक्रवार को कहा था कि कोविड-19 मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह म्यूकोर नामक कवक की वजह से होता है जो गीले सतह पर पाए जाते हैं। काफी हद तक यह संक्रमण मधुमेह के मरीजों में होता है और सामान्य तौर पर गैर मधुमेह मरीजों में यह नही होता है। (भाषा)