lockdown के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने की वृहद योजना बना रहा है भारत
नई दिल्ली। केंद्र सरकार देशभर में लागू लॉकडाउन (बंद) समाप्त होने के बाद खाड़ी देशों एवं अन्य क्षेत्रों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के लिए नौसेना के पोतों के बेड़े के अलावा सैन्य एवं वाणिज्यिक विमानों को तैनात करने की वृहद योजना पर काम कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सरकार ने कई राज्यों से पहले ही कह दिया है कि वे बहु-एजेंसियों की भागीदारी वाले इस अभियान के तहत स्वदेश लाए जाने वाले भारतीयों के लिए आवश्यक प्रबंध करें। सूत्रों ने बताया कि नागर विमानन मंत्रालय ने अभियान की योजना बना रहे कोर समूह से कहा है कि वह अभियान के लिए मालवाहक सहित करीब 650 वाणिज्यिक विमानों में से अधिकतर को उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
उन्होंने बताया कि नौसेना और भारतीय वायुसेना से भी इस अभियान के लिए अपने कुछ संसाधनों को तैयार रखने को कहा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि 'ऑपरेशन राहत' के बाद यह सबसे बड़ा अभियान होगा। 'ऑपरेशन राहत' के तहत भारत 2015 में संघर्षग्रस्त यमन से 41 देशों के नागरिकों समेत 6,700 लोगों को वापस लाया था।
नौसेना ने इस अभियान के लिए आईएनएस जलाश्व और 2 अन्य पोतों को चिह्नित किया गया है। आईएनएस जलाश्व तलाश एवं बचाव अभियान के अलावा महत्वाकांक्षी अभियानों को पूरा करने में सक्षम है। वह 1,000 लोगों को लाने की क्षमता रखता है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना भी इस अभियान के लिए अपने कई विमानों को तैयार कर रही है।
यह अभियान लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आरंभ किया जाएगा। लॉकडाउन 3 मई को समाप्त होगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार लॉकडाउन की अवधि को और बढ़ाएगी या नहीं? सूत्रों ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता खाड़ी देशों से भारतीयों को वापस लाने की होगी जिसके बाद यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों से लोगों को वापस लाया जाएगा। यह तत्काल स्पष्ट नहीं है कि सरकार कितने भारतीयों को वापस लाने की योजना बना रही है।
भारत सरकार ने लॉकडाउन समाप्त होने तक विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस नहीं लाने का फैसला किया है।खाड़ी देशों में करीब 80 लाख भारतीय रहते हैं और कोरोना वायरस के कारण उनकी आजीविका को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है, क्योंकि इस क्षेत्र की तेल आधारित अर्थव्यवस्था इस वैश्विक महामारी के कारण चरमरा गई है। (भाषा)