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Last Modified: शनिवार, 18 अप्रैल 2020 (20:07 IST)

सरकार का बड़ा फैसला : चीन समेत पड़ोसी देशों से आने वाले सभी FDI के लिए मंजूरी जरूरी

सरकार का बड़ा फैसला : चीन समेत पड़ोसी देशों से आने वाले सभी FDI के लिए मंजूरी जरूरी - Govt nod must for all FDI from neighbouring nations, including China : DPIIT
नई दिल्ली। सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच अनुकूल मौका देखते हुए घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण की किसी भी कोशिश पर रोक लगाने के लिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी को शनिवार को अनिवार्य बना दिया। इस कदम से चीन सहित विभिन्न पड़ोसी देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI ) में अवरोध खड़ा किया गया है।
 
भारत के साथ जमीनी सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान शामिल हैं।
 
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं।
 
भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, तो ऐसे निवेश के लिए भी सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
 
इसमें कहा गया है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच किसी भी भारतीय कंपनी का अवसर पाकर अधिग्रहण करने की कोशिश को रोकने के लिए सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में संशोधन किया है।
 
सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
 
पाकिस्तान के निवेशकों पर इस तरह की शर्त पहले से लागू है। पाकिस्तान का कोई नागरिक अथवा पाकिस्तान में बनी कोई भी कंपनी केवल सरकारी मंजूरी के जरिए ही प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं। रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा और कुछ अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश पहले ही प्रतिबंधित है।
 
विभाग ने बताया कि किसी भारतीय कंपनी में मौजूदा एफडीआई या भविष्य के एफडीआई से मालिकाना हक बदलता है और इस तरह के सौदों में लाभार्थी भारत से सीमा साझा करने वाले देशों में स्थित होता है या वहां का नागरिक है, तो इनके लिए भी सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।
 
नांगिया एंडरसन एलएलपी के निदेशक संदीप झुनझुनवाला ने इस बारे में कहा कि भारत-चीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिषद के आकलन के अनुसार, चीन के निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में करीब चार अरब डॉलर निवेश किए हैं।
 
उन्होंने कहा कि उनके निवेश की रफ्तार इतनी अधिक है कि भारत के 30 यूनिकॉर्न में से 18 को चीन से वित्तपोषण मिला हुआ है। चीन की प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों को रोकने के लिए कदम उठाने का यही सही समय है।
 
डीपीआईआईटी के आंकड़ों के मुताबिक भारत को दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपए का एफडीआई प्राप्त हुआ।
 
इसी अवधि में भारत को बांग्लादेश से 48 लाख रुपए, नेपाल से 18.18 करोड़ रुपए, म्यांमार से 35.78 करोड़ रुपए, अफगानिस्तान से 16.42 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ। पाकिस्तान और भूटान से कोई निवेश प्राप्त नहीं हुआ।
 
चीन के केन्द्रीय बैंक ‘पीपुल्स बैंक आफ चाइना’ ने हाल ही में भारत की आवास वित्त कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 1.01 प्रतिशत कर दी। (भाषा)
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