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Last Updated : बुधवार, 4 मार्च 2020 (15:53 IST)

Corona Virus : क्या केरल में है कोरोना का इलाज; 3 मरीज हुए ठीक, निपाह को भी किया था काबू में...

Corona Virus : क्या केरल में है कोरोना का इलाज; 3 मरीज हुए ठीक, निपाह को भी किया था काबू में... - Does Kerala know how to fight with Corona
देश में कोरोना के वायरस कोविड 19 को लेकर यदि सबसे ज्यादा सतर्कता कहीं बरती जा रही है तो वह है केरल। दरअसल केरल से वुहान जाने आने वालों की संख्या काफी है और इसी के चलते तीन मामले सामने भी आए। इनके सामने आते ही केरल सरकार ने इसे आपात स्थिति मानते हुए हर अस्पताल में हो रहे टेस्ट, इलाज और अन्य विवरणों पर कड़ी नजर रखना शुरू की। 
 
देशभर में लगभग 11500 लोग जांच के दायरे में हैं और इनमें से एक तिहाई अकेले केरल में हैं। यही बात केरल सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है हालांकि सरकार का कहना है कि तीन मरीज जो संक्रमित माने जा रहे थे उनकी ताजा रिपोर्ट नेगेटिव आई है। यह खबर कोरोना को लेकर डर के वातावरण में राहत देती लग रही है। 
 
कोरोना वायरस संक्रमित 3 मरीज की हालात में जिस तरह से सुधार हुआ है, उसे देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कोरोना का जवाब केरल के पास है? 
 
ऐसा इसलिए भी संभव है कि केरल ने पिछले साल फैले निपाह वायरस से सफलतापूर्वक निपटा था और उल्लेखनीय है कि केरल में कई डॉक्टर और नर्सों ने इस भयानक बीमारी से मरीजों को बचाते हुए अपनी कुर्बानी तक दे दी थी। 
 
सरकारी अस्पताल मरीजों का उपचार करते हुए निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद अपनी जान गंवाने वाली नर्स लिनी पुतुसेरी भी केरल की ही थी। नर्स की मौत ने केरल को इससे लड़ने के लिए प्रेरित किया। अधिक जानकारी 
 
इससे सबक लेते हुए केरल सरकार ने हाईजीन और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया। किसी भी संक्रामक रोग में मरीज को आइसोलेट करना संक्रमण रोकने का सबसे प्रभावी उपाय होता है। केरल ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
 
कितना खतरनाक है निपाह (NiV) वायरस : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। बताया जाता है कि उस समय इस वायरस का स्रोत सूअर थे। 
 
इसके बाद 2004 में NiV वायरस एक बार फिर खबरों में आया जब बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए। तब पता चला कि इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है। 
 
निपाह भी है लाइलाज : अधिकतर वायरस की तरह इसका भी फिलहाल कोई इलाज नहीं है। इंसानों या जानवरों में इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन या टीका नहीं बना है। 
 
आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है। मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है।
 
निपाह से कैसे लड़ी केरल ने जंग : लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस की वजह से 2018 केरल में 17 लोगों की मौत हो गई थी। सरकारी अस्पताल मरीजों का उपचार करते हुए निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद अपनी जान गंवाने वाली नर्स लिनी पुतुसेरी भी केरल की ही थी। नर्स की मौत ने केरल को इससे लड़ने के लिए प्रेरित किया।
 
2019 में एक बार फिर यह खतरनाक वायरस केरल पहुंचा। तब केरल ने इससे लड़ने के लिए केरल ने एक विशेष रणनीति तैयार की थी। लोगों को इस बीमारी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा अभियान चलाया। लोगों तक इस बीमारी के लक्षण, बचने के उपाय और हर अपडेट को पहुंचाया गया। यही सब कुछ कोरोना वायरस से जंग में भी दिखाई दिया। अब केंद्र सरकार को भी राजनीति से ऊपर उठते हुए केरल से सीखना चाहिए तभी कोरोना के कहर से लोगों को मुक्ति मिल पाएगी।
 
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