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  4. There is neither goodwill nor friendship, then what is Indus Water Treaty
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Last Modified: शनिवार, 24 मई 2025 (20:31 IST)

न तो सद्भावना है और न ही मि‍त्रता, फिर सिंधु जल संधि कैसी

विदेश मंत्रालय चाहता है कि सिंधु जल संधि की शर्तों पर फिर से बात

India Pakistan tension
Indus Water Treaty: विदेश मंत्रालय ने संसद की एक समिति से कहा है कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भारत का फैसला पाकिस्तान द्वारा समझौते को दिशा देने वाले दोस्ती और सद्भावना जैसे सिद्धांतों के उल्लंघन का स्वाभाविक नतीजा है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने समिति से कहा है कि इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियर के पिघलने सहित जमीनी हालात में आए बदलावों के कारण संधि की शर्तों पर फिर से बातचीत करना जरूरी हो गया है।
 
सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका और आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख से अवगत कराने के लिए 33 देशों की राजधानियों का दौरा कर रहे संसदीय प्रतिनिधिमंडल भी सिंधु जल संधि को स्थगित करने के नई दिल्ली के फैसले को जायज ठहराने के लिए यही तर्क देंगे। ALSO READ: क्यों पाकिस्तान की गंगा है सिंधु नदी, जानिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में क्या है रोल
 
क्या कहा था मिसरी ने : विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि 1960 की सिंधु जल संधि की प्रस्तावना में स्पष्ट किया गया है कि यह संधि 'सद्भावना और मित्रता की भावना' पर आधारित है। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों का प्रभावी रूप से उल्लंघन किया है।
 
मिसरी ने हाल ही में एक संसदीय समिति को पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की ओर से चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सहित अन्य कार्रवाई के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव के बाद भारत के रुख को समझाने के लिए 33 देशों और यूरोपीय संघ का दौरा कर रहे सात बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंड से भी बात की थी। ALSO READ: पाकिस्तान की बर्बादी के लिए 'सिंधु' रूपी हथियार ही काफी
 
21वीं सदी के अनुरूप हो संधि : सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने समिति से कहा कि पाकिस्तान संधि पर हस्ताक्षर के बाद जमीनी हालात में आए बदलावों के मद्देनजर दोनों देशों की सरकारों के बीच बातचीत के भारत के अनुरोध में लगातार अड़चन डाल रहा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि सिंधु जल संधि पर फिर से बातचीत किए जाने की जरूरत है, ताकि इसे 21वीं सदी के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, क्योंकि यह 1950 और 1960 के दशक की इंजीनियरिंग तकनीकों पर आधारित है।
 
मंत्रालय ने कहा कि अन्य प्रमुख बदलावों में जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर का पिघलना, नदियों के पानी की मात्रा में आया बदलाव और जनसांख्यिकी शामिल हैं। उसने कहा कि इन कारकों के अलावा स्वच्छ ऊर्जा की चाह संधि के तहत अधिकारों और दायित्वों के निर्धारण पर नये सिरे से बातचीत को अनिवार्य बनाते हैं।
 
मंत्रालय ने कहा कि संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह सद्भावना और दोस्ती की भावना पर आधारित है। पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों का प्रभावी रूप से उल्लंघन किया है। पाकिस्तान की ओर से सीमापार से लगातार जारी आतंकवाद हमें संधि पर उसके प्रावधानों के अनुसार अमल करने से रोकता है।
 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जब जमीनी हालात पूरी तरह से बदल गए हों, तो संधि को स्थगित रखने का फैसला स्वाभाविक और भारत के अधिकार क्षेत्र में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले का समर्थन करते हुए हाल ही में कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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