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Written By Author डॉ. रमेश रावत
Last Modified: रविवार, 27 सितम्बर 2020 (21:35 IST)

Special Story: बर्लिन में इस तरह गुजरा हमारा Lockdown

Special Story: बर्लिन में इस तरह गुजरा हमारा Lockdown - Coronavirus Lockdown period in Berlin
भारतीय अमेरिकी तथा बर्लिन (जर्मनी) में ब्रेनबोट टेक्नोलॉजी एजी में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत कमल वेद ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते जर्मनी में अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर हुआ, वहीं पर्यटन एवं होटल उद्योग की तो मानो कमर ही टूट गई। 
 
Lockdown के अपने अनुभवों को साझा करते हुए वेद बताते हैं कि बर्लिन में कोरोना संक्रमण के फैलते ही हमने घर से ही काम करना आरंभ कर दिया था। सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए थे कि 2 से अधिक व्यक्ति समूह में न हों। बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए, कक्षाएं ऑनलाइन आरंभ हो गईं। यहां सार्वजनिक परिवहन चालू था, लेकिन फिर भी प्रथम तीन सप्ताह तक हमने इससे परहेज रखा। ऑफिस का काम भी घर से ही पूरा किया। 
 
वेद कहते हैं- मैं एक ब्लाक चैन आधारित भुगतान प्रसंस्करण कंपनी में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत हूं। मेरी पत्नी विपणन परियोजनाओं के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करने के साथ ही उत्पाद प्रबंधन का भी कार्य कर रही है। कोरोना के कारण हमने जरूरी यात्राएं रद्द कीं, इनमें मल्लोर्का स्पेन की यात्रा भी शामिल हैं। 
 
लॉकडाउन के पहले चरण में सभा का आयोजन, उसमें शामिल होना प्रतिबंधित था। हालांकि बाद के चरणों में प्रतिबंध हटा दिए गए, लेकिन घर से बाहर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया। 7 साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क पहनने में छूट थी। प्रतिबंध के तीसरे चरण में रेस्टोरेंट को खोलने की अनुमति दी गई।
 
वेद कहते हैं कि एंजेला मर्केल ने अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के साथ कोविड-19 से सबंधित हर चीज पर बहुत ही करीब से नजर रखी। उनके सही समय पर निर्णय लेने की क्षमता, उत्कृष्ट कार्यों की जितनी सराहना की जाए कम है। 
अर्थव्यवस्था एवं पर्यटन पर प्रभाव : वेद कहते हैं कि अर्थव्यवस्था पर अन्य देशों की तरह यहां भी असर पड़ा है। लोगों का ऑनलाइन एवं वर्क फ्रॉम होम के कंसेप्ट से जुड़े होने के कारण ऑनलाइन खरीदारी पर ज्यादा फोकस रहा है। हालांकि मुझे इस बात का आश्चर्य जरूर था कि जर्मनी में कोविड-19 के संकट के दौरान किसानों ने इनडोर एवं आउटडोर बाजारों को बंद नहीं किया। 
 
वेद कहते हैं कि वे भारतीय अमेरिकी है जो अब जर्मनी में रह रहे हैं। उन्होंने 18 साल से अधिक समय तक अमेरिका में काम किया है। वर्तमान में एक ब्लॉकचेन स्टार्ट अप कंपनी के लिए एक कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। 
 
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