गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. Corona Virus
Written By
Last Modified: बुधवार, 1 अप्रैल 2020 (08:21 IST)

29 मई के बाद खात्मे की ओर होगा कोरोना वायरस

29 मई के बाद खात्मे की ओर होगा कोरोना वायरस - Corona Virus
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (Corona Virus) की ही चर्चा हो रही है। लोग हद से ज्यादा डरे हुए हैं। दुनियाभर में चर्चा का एकमात्र केन्द्र यही महामारी यानी कोरोना वायरस है। ऐसा करके जाने-अनजाने में हम सभी लोग इस महामारी को शक्ति ही प्रदान कर रहे हैं।
 
हम एक वैदिक तथ्य को भूल जाते हैं कि किसी भी समस्या, वस्तु या व्यक्ति जिसके विषय में भी सबसे ज्यादा चर्चा होती है, हम उसको शक्ति प्रदान कर रहे होते हैं।
 
दरअसल, होना तो यह चाहिए इसे अपने मन-मस्तिष्क से पूरी तरह से निकाल दें और सकारात्मक सोचें कि यह 
वायरस या महामारी हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। अर्थात मजबूत इम्यूनिटी के साथ मजबूत इच्छाशक्ति भी जरूरी है। इसके साथ ही हमें फिर से वैदिक परंपरा को अपनाकर भोजन में संयम, आचार विचार में संयम यहां तक कि अपने पूरे जीवन में संयम को उतारना होगा। 
 
14 अप्रैल से कम होगा असर : ज्योतिषी पंडित आशीष शुक्ला के मुताबिक 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे और 26 अप्रैल को बुध भी मेष राशि में जाएंगे। दोनों की युति के कारण तापमान में अत्यधिक वृद्धि होगी और भारत में कोरोना का कहर समाप्ति की ओर बढ़ने लगेगा। 
यदि हम पूर्ण समाप्ति की बात करें तो 29 मई के पश्चात भारत से यह पूर्ण समाप्ति की ओर बढ़ जाएगा। जब सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे तो तब वैज्ञानिकों को इस महामारी का वैक्सीन तैयार करने में सफलता मिल सकती है। 
 
इम्युनिटी बढ़ाएं : वैदिक परंपराओं का पालन कर हम अपनी इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं। हमारा प्रतिरोधी तंत्र यानी इम्युनिटी जितनी मजबूत होगी कोई भी वायरस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। इम्युनिटी बढ़ाने के संयमित जीवन शैली के साथ योग, ध्यान, प्राणायाम और शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करें। तन और मन दोनों की ही मजबूती जरूरी है।
 
हकीकत में हम अपनी परंपराओं से पूरी तरह से पृथक हो गए। उसी का परिणाम है कि हम इस महामारी का सामना कर रहे हैं। फिर भी क्या यह एक अजूबा नहीं है कि जितना असर इस महामारी का दुनिया के बाकी देशों में हैं, हमारे देश में तुलनात्मक रूप से काफी कम है। उसका केवल एक ही कारण है कि आज भी बहुत से लोग हमारी पुरातन वैदिक परंपराओं से जुड़े हुए हैं।