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Last Modified: शनिवार, 13 अगस्त 2022 (12:30 IST)

कुश्ती में आए सबसे ज्यादा मेडल, फिर भी इस कारण से महिला पहलवानों पर गिर सकती है गाज

कुश्ती में आए सबसे ज्यादा मेडल, फिर भी इस कारण से महिला पहलवानों पर गिर सकती है गाज - Wrestling Federation of India discontent with the female athletes
नई दिल्ली: राष्ट्रीय महासंघ हाल में समाप्त हुए राष्ट्रमंडल खेलों में चार भारतीय महिला पहलवानों के प्रदर्शन से खुश नहीं है कि वे ड्रा में कमजोर प्रतिद्वंद्वियों के बावजूद फायदा नहीं उठा सकीं और स्वर्ण पदक से चूक गयीं।

राष्ट्रमंडल खेलों में सभी 12 पहलवानों ने पदक जीते जिसमें से छह ने स्वर्ण, एक ने रजत और पांच ने कांस्य पदक अपने नाम किये।

महिलाओं में केवल विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ही स्वर्ण पदक जीत सकी थीं जबकि अंशु मलिक स्वर्ण पदक की दावेदार होने के बावजूद 57 किग्रा वर्ग में रजत पदक लेकर लौंटी।पूजा गहलोत (50 किग्रा), दिव्या काकरान (68 किग्रा) और पूजा सिहाग (76 किग्रा) ने कमजोर प्रतिद्वंद्वियों के बावजूद कांस्य पदक जीते।

महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में केवल छह पहलवानों ने हिस्सा लिया जिसमें पूजा कनाडा की मेडिसन बियांका पार्क्स से हार गयीं और उन्होंने प्लेऑफ में कांस्य पदक जीता।वहीं 76 किग्रा में केवल आठ पहलवान जबकि 68 किग्रा वर्ग में नौ पहलवान थीं, जिसमें बांग्लादेश, मौरिशस, कैमरून, टोंगा और न्यूजीलैंड जैसे देश की पहलवान शामिल थीं।

केवल दिव्या के सामने 68 किग्रा में नाईजीरिया की ब्लेसिंग ओब्रूडूडू जैसी मजबूत पहलवान की चुनौती थी जो तोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता हैं। दिव्या एक भी अंक नहीं जुटा सकीं और फिर उन्होंने कैमरून की कमजोर पहलवान ब्लानडिन नयेह एनगिरी को हराकर कांस्य पदक जीता।

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के लिये सबसे बड़ी निराशा प्रतिभाशाली अंशु मलिक का स्वर्ण पदक नहीं जीत पाना रही।अंशु मलिक के सामने फाइनल में अफ्रीकी चैम्पियन ओडुनाओ फोलासाडे एडेकुओरोये की चुनौती थी जो उनसे सात साल बड़ी हैं।

डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी महिला पहलवानों का यह अच्छा प्रदर्शन नहीं था। अगर आप कमजोर प्रतिद्वंद्वियों के बावजूद पदक नहीं जीत पा रहे हो तो इससे आपका प्रदर्शन दिखायी देता है। ’’
Sakshi Malik
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहलवानों के साथ बैठकर उनके प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। अंशु अपने से कहीं बड़ी उम्र की प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ सही दांव नहीं लगा सकी। पहलवानों को इसके बारे में सोचना चाहिए। ’

अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत निश्चित रूप से राष्ट्रमंडल खेलों में ‘पावरहाउस’ है लेकिन मुझे लगता है कि यह हमारे नतीजों से सही से दिखायी नहीं दे रहा। ’’

पुरूषों के वर्ग में हालांकि प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप रहा जिसमें बजरंग पूनिया (65 किग्रा), रवि दहिया (57 किग्रा), नवीन (74 किग्रा) और दीपक पूनिया (86 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते जबकि दीपक नेहरा (97 किग्रा) और मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते।

डब्ल्यूएफआई 25 अगस्त को रोहतक में आम सालाना बैठक करेगा जिसमें अगले साल की जूनियर और सीनियर चैम्पियनशिप के मेजबान चुने जायेंगे।(भाषा)
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