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Last Modified: शुक्रवार, 12 अगस्त 2022 (14:39 IST)

पहले ही Commonwealth Games में Gold जीतने वाली नीतू के पिता को 3 साल से नहीं मिल रही थी पगार

पहले ही Commonwealth Games में Gold जीतने वाली नीतू के पिता को 3 साल से नहीं मिल रही थी पगार - Neetu Ganghas father ws leave without pay for three years
बर्मिंघम: युवा भारतीय मुक्केबाज नीतू गंघास ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपने पहले स्वर्ण पदक को पिता जय भगवान को समर्पित किया, जिन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हरियाणा सचिवालय के कर्मचारी जय भगवान दो बार की विश्व युवा चैंपियन नीतू को प्रशिक्षित करने के लिए पिछले तीन वर्षों से अवैतनिक अवकाश पर है।

पिता की बलिदान रविवार को रंग लाया जब नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित कर जीत दर्ज की।

हरियाणा सचिवालय के कर्मचारी जय भगवान दो बार की विश्व युवा चैंपियन नीतू को प्रशिक्षित करने के लिए पिछले तीन वर्षों से अवैतनिक अवकाश पर है।

पिता की बलिदान रविवार को रंग लाया जब नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित कर जीत दर्ज की।

पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में जीता स्वर्ण

सबसे पहले रिंग में उतरी नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित किया।

निकहत ने साल के शुरू में प्रतिष्ठित स्ट्रैंद्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था और फिर वह मई में विश्व चैम्पियन बनी।

तेलगांना की मुक्केबाज ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये अपने 52 किग्रा वजन को 50 किग्रा किया। वह रिंग में फुर्ती से घूमते हुए मर्जी के मुताबिक मुक्के जड़ रही थी। उनका रक्षण भी काबिलेतारीफ रहा।

बाउट में उनका दबदबा ऐसा था कि जब नौ मिनट खत्म हुए तो किसी को कोई शक नहीं था कि फैसला किस ओर जायेगा। प्रत्येक जज ने हर राउंड में उन्हें विजेता बनाया।

पहले राष्ट्रमंडल खेल में ही जीत लिया गोल्ड मेडल

राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण में ही नीतू ने गजब का आत्मविश्वास दिखाया और फाइनल में भी वह इसी अंदाज में खेली जैसे पिछले मुकाबलों में खेली थीं।मेजबान देश की प्रबल दावेदार के खिलाफ मुकाबले का माहौल 21 साल की भारतीय मुक्केबाज को भयभीत कर सकता था लेकिन वह इससे परेशान नहीं हुईं।

नीतू अपनी प्रतिद्वंद्वी से थोड़ी लंबी थीं जिसका उन्हें फायदा मिला, उन्होंने विपक्षी के मुक्कों से बचने के लिये पैरों का अच्छा इस्तेमाल किया।उन्होंने पूरे नौ मिनट तक मुकाबले के तीनों राउंड में नियंत्रण बनाये रखा और विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर दमदार मुक्के जड़ना जारी रखते हुए उसे कहीं भी कोई मौका नहीं दिया।

नीतू ने जीत का श्रेय दिया पिताजी को

नीतू ने तेज तर्रार, ‘लंबी रेंज’ के सटीक मुक्कों से प्रतिद्वंद्वी को चारों खाने चित्त कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं। मुझे सांस भी नहीं आ रहा।’’

 भारत के मुक्केबाजी में ‘मिनी क्यूबा’ कहलाये जाने वाले भिवानी की नीतू ने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता मेरी प्रेरणा रहे हैं और मेरा स्वर्ण पदक उनके लिये ही है। ’’(भाषा)
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