क्रिसमस पर रिंगिंग बेल्स बजाए जाने का क्या है महत्व?
Christmas 2023: ईसा मसीह के जन्मदिन क्रिसमस उत्सव के दौरान सांता क्लॉज, जिंगल बेल, क्रिसमस ट्री, क्रिसमस कार्ड, अस्तबल की झांकी, रिंगिंग बेल्स, मोमबत्ती, स्पेशल प्रार्थना, गिफ्ट, स्वादिष्ट पकवान आदि कई बाते हैं इस त्योहार की परंपरा का हिस्सा है। इसमें से एक है रिंगिंग बेल्स। आओ जानते हैं कि क्रिसमस पर क्यों बजाई जाती है रिंगिंग बेल्स।
परंपरा: गिरजाघरों में पारंपरिक तरीके से ईसा मसीह के लिए गाए जा रहे भक्ति गीत के अलावा 'जिंगल बेल्स', 'ओह होली नाइट' और 'सैंटा क्लॉज इज कमिंग टु टाउन' सरीखे गीतों से माहौल खुशनुमा हो जाता है। इसी बीच रिंगिंग बेल्स बजाने की परंपरा भी कई देशों में हैं। क्रिसमय पर गिरजाघरों या घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता है, भक्ति गीतों के साथ जिंगल का गाना भी बजाया जाता है। लोग एक-दूसरे को कार्ड और गिफ्ट देते हैं। इसके अलावा घंटियां भी बजाते हैं, जिसे रिंगिंग बेल्स कहते हैं। आओ जानते हैं कि इसे बजाने के पीछे क्या है मान्यता।
रिंगिंग बेल्स:-
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क्रिसमस के दिन घंटी को बजाने का भी रिवाज है जिसे रिंगिंग बेल कते हैं।
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यह बेल सर्दियों में सूर्य के लिए भी बजाई जाती है और खुशियों के लिए भी।
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मान्यता है कि घर को घंटियों से सजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
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सैंटा क्लॉज का स्वरूप सफेद लंबी दाढ़ी, सफेद बार्डर वाले लाल रंग के कपड़े और सफेद बार्डर वाली सिर पर लंबी टोपी पहने बूढ़े बाबा जैसा है।
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मान्यता अनुसार सैंटा क्रिसमस के दिन सीधा स्वर्ग से धरती पर आते हैं और वे बच्चों के लिए टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चले जाते हैं।
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परंपरा से बच्चे सैंटा को 'क्रिसमस फादर' भी कहते हैं।
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आपने देखा होगा कि उनके हाथ में एक घंटी भी होती हैं जिसे वे बजाकर बच्चों को खुश करते हैं।
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सैंटा क्लॉज और जिंगल बेल के बगैर अब क्रिसमस पर्व की कल्पना नहीं की जा सकती।
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अब तो सैंटा क्लॉज के हाथों भी भी उपहार के साथ एक बेल (घंटी) नजर आती है।