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Written By भाषा
Last Modified: अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) , सोमवार, 18 नवंबर 2013 (15:45 IST)

मतदान को लेकर आशान्वित छग चुनाव अधिकारी

मतदान को लेकर आशान्वित छग चुनाव अधिकारी -
FILE
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित इलाकों में भारी मतदान करवाने में सफल रहे छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों को आशा है कि मंगलवार को 72 चुनावी क्षेत्रों में होने वाले चुनावों में भी ऐसा ही चलन देखने को मिलेगा।

लगभग 3 माह पहले एक व्यवस्थागत मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (स्वीप) नामक कार्यक्रम चलाया गया था जिसके नतीजे आज अधिकतर चुनावी इलाकों में सामने आ रहे हैं।

जब उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी एलेक्स पॉल मेनन से इस शुरुआत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि स्वीप कार्यक्रम के तहत हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने मतदाताओं को उनके अधिकार और मतदान का महत्व बताने में वाकई बहुत मेहनत की है।

इससे चुनावों के पहले चरण में (11 नवंबर को आयोजित चुनावों में) अच्छे नतीजे मिले हैं। ये नतीजे नक्सल इलाकों में खासतौर पर देखने को मिले हैं। मैं मंगलवार के चुनाव में भी ज्यादा मतदाताओं द्वारा मतदान की उम्मीद रखता हूं।

पिछले साल माओवादियों द्वारा 12 दिन तक बंधक बनाकर रखे गए मेनन ने भी नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में 11 नवंबर को हुए चुनावों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रायपुर से एक अधिकारी ने फोन पर बताया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देशों के तहत किए गए प्रयासों से अच्छे नतीजे प्राप्त हुए। यह सामूहिक मेहनत ही थी, जो मतदाताओं को मतदान के लिए उनके घरों से बाहर लाने में कामयाब रही।

माओवादियों ने छत्तीसगढ़ कैडर के 2006 बैच के प्रशासनिक अधिकारी मेनन का 21 अप्रैल 2012 को सुकमा के माझीपारा गांव से अपहरण कर लिया था। उन्हें 12 दिन के बाद रिहा किया गया था।

मेनन ने कहा कि मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय (सीईओ) ने अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए स्वीप कार्यक्रम को एक अलग और नए तरीके से चलाया।

सीईओ कार्यालय और जिला प्रशासन ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए और मतदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सड़कों के किनारे बड़े बिलबोर्ड लगाए और ग्रामीण व शहरी इलाकों में टीवी व अखबारों में विज्ञापन दिए।

लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने वाले चित्र और संदेश उन चुनावी क्षेत्रों और उनके आसपास के इलाकों में ‘कच्चे’ मकानों की दीवारों पर देखे जा सकते हैं, जहां मंगलवार को मतदान होना है। मंगलवार को कुल 72 चुनावी क्षेत्रों में चुनाव होने हैं और इनमें नक्सल प्रभावित अंबिकापुर भी शामिल है।

राजनांदगांव जिले की जिला पंचायत की मुख्य चुनाव अधिकारी के रूप में कार्यरत एक अन्य युवा प्रशासनिक अधिकारी प्रियंका शुक्ला ने कहा कि ‘‘प्रतिज्ञा’’ नामक कार्यक्रम के कारण चुनावों के पहले चरण में बड़ी संख्या में मतदान संभव हो सका।

‘प्रतिज्ञा’ एक ऐसा कार्यक्रम है, जो जिले में मतदाताओं के बीच जागरूकता लाने के लिए चलाया गया था। चुनावों के पहले चरण में 18 विधानसभा क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान हुआ। इनमें से लगभग 1 दर्जन क्षेत्र नक्सल प्रभावित बस्तर के तहत आते हैं जिनमें राजनांदगांव भी शामिल था।

मुख्यमंत्री रमन सिंह के चुनावी क्षेत्र राजनांदगांव से प्रियंका शुक्ला ने बताया कि हमने मतदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए लघु फिल्में बनाईं और मेहंदी व रंगोली की प्रतियोगिताएं रखीं। ऐसी ही कई अन्य गतिविधियों के जरिए उन्हें उनके मतदान के अधिकार के प्रति जागरूक किया गया।

छत्तीसगढ़ कैडर की वर्ष 2009 के बैच की प्रशासनिक अधिकारी शुक्ला ने कहा कि ‘प्रतिज्ञा’ की वजह से चांदो और खेरी गांवों के लोगों ने 11 नवंबर को मतदान करने का फैसला किया। इन लोगों ने पहले चुनावों का बाहिष्कार करने की घोषणा की थी।

शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई जिला अधिकारी ‘प्रतिज्ञा’ की तर्ज पर कार्यक्रम चला रहे हैं। एमबीबीएस डिग्री प्राप्त अधिकारी शुक्ला ने कहा कि यह सभी अधिकारियों द्वारा समर्पित प्रयास था। उन सभी ने बहुत मेहनत की।

अधिकारियों ने फेसबुक जैसी नेटवर्किंग साइट्स पर पेज भी बनाए ताकि स्वीप अभियान के बारे में देशभर में जागरूकता फैलाई जा सके।

‘प्रतिज्ञा’ के फेसबुक पेज पर 5,800 लाइक हैं जबकि संकल्प (सरगुजा का स्वीप कार्यक्रम) पर 500 और आह्वान (राजस्थान के दौसा का स्वीप कार्यक्रम) पर 250 से ज्यादा लाइक हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी के स्वीप पेज पर 6,000 से ज्यादा लाइक हैं।

एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि युवा अधिकारी लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं और इससे मिलने वाले नतीजे अद्भुत हैं। मुझे उम्मीद है कि मंगलवार को के चुनावों में भी बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। (भाषा)