• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. छठ पूजा
  4. Chhath Puja ki katha
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 2 नवंबर 2024 (16:48 IST)

Chhath Puja katha: छठ पूजा की 4 पौराणिक कथाएं

Chhath Puja katha: छठ पूजा की 4 पौराणिक कथाएं - Chhath Puja ki katha
Chhath Maiya Katha: 7 नवंबर 2024 को छठ पूजा का महापर्व प्रारंभ रहेगा। छठ पर्व के 4 दिनों के महोत्सव में व्रत रखकर षष्ठी देवी यानी छठ मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है। इस दौरान छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।ALSO READ: कौन हैं छठी मैया? जानिए भगवान कार्तिकेय से क्या है संबंध?
 
कौन है छठ मैया: शास्त्रों में माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। इन्हें ही मां कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन होती है। षष्ठी देवी मां को ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहते हैं। छठी माता की पूजा का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्यदेव की बहन भी माना गया है।
 
क्यों करते हैं छठ माता की पूजा: छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगाने के लिए करती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा :-1
छठ पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। पौराणिक कथा अनुसार मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया तब महारानी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। खीर के प्रभाव से एक पुत्र को जन्म दिया परंतु वह शिशु मृत पैदा हुआ। प्रियव्रत पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।ALSO READ: Chhath puja date: छठ पूजा का महापर्व कब है, क्या है सूर्योदय और सूर्यास्त का समय?
 
उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। तभी से पूजा का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
chhath puja wishes
छठ पूजा की पौराणिक कथा:-2
एक पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।ALSO READ: Chhath Puja 2024: इन चीजों के बिना अधूरा है छठ पर्व, पढ़ें संपूर्ण सामग्री की लिस्ट
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा:-3
पौराणिक शास्त्रों में छठ की कथा को देवी द्रोपदी से जोड़कर भी देखा जाता है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। द्रोपदी अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा:-4
एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।
ये भी पढ़ें
Chhath Puja 2024: छठ पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की सामग्री एवं पूजन विधि