देश के पाँच राज्य बने चुनौती
देश के पाँच राज्यों की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उसने सरकार और समाज दोनों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं। चीन भले ही हम किसी और मामले में मात न दे सके, पर माना जा रहा है कि जल्द ही हम जनसंख्या की रेस में चीन को पीछे छोड़ देंगे। क्योंकि, ये पाँच राज्य ही अपने आपमें देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा समाए हैं और उसे बढ़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे।जनसंख्या के प्रारंभिक आँकड़ों पर नजर डालें तो देश को परेशान करने वाले पाँच राज्य हैं उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या है 199581477 (16.49 फीसदी), बिहार की है 103804637 (8.59 फीसदी), पश्चिम बंगाल की 91347736 (7.55 फीसदी), महाराष्ट्र की 112372972 (9.29 फीसदी) और आंध्र प्रदेश की जनसंख्या है 84665533 (7.00 फीसदी)।इन पाँच राज्यों की देश की जनसंख्या में हिस्सेदारी 48.91 फीसदी होती है। इसके बावजूद इस बार के आँकड़े जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बढ़ते दिखाई देते हैं। अच्छी खबर यह है कि आबादी की वृद्घि दर में कमी देखी गई। 1991 की गणना में आबादी में 23.87 फीसदी की और 2001 में 21.54 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। 2011 की जनगणना के अनुसार बीते दशक में आबादी 17.64 फीसदी ही बढ़ी है। जनसंख्या वृद्घि दर में निरंतर गिरावट दर्ज की गई। एक दशक के दौरान वृद्घि दर में 3.90 फीसदी की कमी दर्ज की गई।'
दो राज्यों की जनसंख्या ही आजादी के वक्त की आबादी के बराबर'सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश की आबादी थमने का नाम नहीं ले रही। आश्चर्य इस बात का कि आजादी के समय भारत की आबादी करीब 33 करोड़ थी, उतनी तो हम हर दशक में बढ़ाते जा रहे हैं। जनसंख्या के ताजा प्रारंभिक आँकड़ों के मुताबिक सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार की आबादी का जोड़ ही करीब 30 करोड़ से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में कुल 199581477 की आबादी होने का प्रारंभिक अनुमान है।इनमें 104596415 पुरुष हैं और 94985062 महिलाएँ हैं। देश की कुल आबादी में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 16.49 फीसदी है। जिस तेजी से इस राज्य की जनसंख्या बढ़ रही है, उसे थामना आसान नहीं लग रहा। उधर, बिहार की आबादी भी 103804637 है, जिसमें 54185347 पुरुष और 49619290 महिलाएँ हैं। देश की आबादी में इस राज्य की हिस्सेदारी भी 8.59 बैठती है।