सचिन : मंगल दिलाएगा भारत रत्न
सितारों के संयोग से बना दो सौ रनों का रिकॉर्ड
महान क्रिकेटर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में कन्या लग्न और कन्या नवांश में हुआ।ग्रहों के अनुसार लग्नेश व दशमेश नीच का होकर लग्न को उच्च दृष्टि से देख रहा है, अतः लग्न प्रभावी हुआ। इस वजह से सचिन अपनी समझ से काम लेने वाले खिलाड़ी हैं। सचिन ना किसी की टीका-टिप्पणी करते है और ना ही विपरित परिस्थितियों में अपना आपा खोते हैं। बस एक मुस्कुराहट के साथ अपना जवाब बल्ले से पिच पर देते हैं। कन्या लग्न की वजह से ही वे सबसे कम उम्र के खिलाडी बने। कन्या लग्न शर्मिले स्वभाव वाला लग्न है। धन व भाग्य का स्वामी शुक्र उच्च के सूर्य के साथ अष्टम भाव में है। यह विपरित राजयोग सूर्य के अष्टम में होने से बन रहा है। अष्टम भाव ख्याति का भाव भी है अतः धन व ख्याति में कोई कमी नहीं रखेगा, क्योकि भाग्येश, धन को देख रहा है। इनकी पत्रिका में कालसर्प योग भी है लेकिन राहु से बनने वाला कालसर्प योग प्रभावी नहीं होता। कुछ साल पहले पाक के एक ज्योतिषी शौकत अली ने कहा था कि सचिन की पारी समाप्त हुई और भारत में इन पंक्तियों के लेखक ने भविष्यवाणी की थी कि सचिन की पारी अभी समाप्त नहीं हुई है। जगजाहिर है कि सचिन आज तक पिच पर डटे हैं। हाल ही में 200 रनों का विश्व रिकार्ड बनाकर पाक के खिलाडी सईद अनवर व चार्ल्स कॉवेंट्री के 194 रनों का रिकॉर्ड ध्वस्त किया।
तृतीय भाव पराक्रम का है व हाथों से भी संबंध रखता है। तृतीय व अष्टम का स्वामी मंगल उच्च का होकर पाँचवे स्थान में नीच भंग के गुरु के साथ है। और यही है कारण कि क्रिकेट की यह महान हस्ती आज तक क्रिकेट जगत में बनी हुई हैं। जब हाथ मजबूत हो व खेल का कारक मंगल भी स्वस्थ हो तो ऐसा जातक सफलता की ओर अग्रसर होता ही है। सचिन की पत्रिका में शनि, मित्र शुक्र की राशि वृषभ में होकर भाग्य स्थान में है। इसकी सप्तम दृष्टि शत्रु मंगल की राशि वृश्चिक पर तृतीय भाव में पड़ रही हैं। वहीं गोचर में शनि का भ्रमण कन्या राशि व लग्न से होकर तृतीय भाव पर पूर्ण तृतीय दृष्टि से देख रहा है। इसी कारण आपने 200 रन बनाकर इतिहास रचा। शनि की दशम दृष्टि षष्ट शत्रु भाव पर स्वदृष्टि पड़ने से विरोधी इनके सामने टिक नहीं पाते। पंचम भाव में मंगल उच्च का है जो पराक्रमेश है। इसी कारण सचिन के भारत रत्न प्राप्त करने के प्रबल योग बन रहे हैं। मेह नत के साथ-साथ मंगल की उच्चता उन्हें भारत रत्न का हकदार बना रही है।