माधुरी दीक्षित : हैप्पी बर्थ डे
संयुक्त लॉकेट धारण करना लाभदायी रहेगा
माधुरी दीक्षित का जन्म 15 मई 1967 को पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ है जो कि सुशील एवं सुंदर रूप प्रदान करता है। सूर्य भी उच्च राशि का होने से सुंदरता में चार चांद लगा देता है। साथ में दीर्घसूत्री भी बनाता है। माधुरी की कुंडली में चंद्र जिस भाव में बैठा है, वह पराक्रम द्वारा धन कमाने का भाग्य देता है। वह माधुरी के जीवन में है एवं उच्च स्थान पर पहुंचाता है। मंगल कुंडली में बुध की राशि पर विराजमान है, जो माधुरी को कृतज्ञ बनाता है। माधुरी अपने कार्य को बिना झिझक के पूर्ण निष्ठा के साथ करती है, उसी कारण आज वह उच्च स्थान पर विराजमान है। बुध कुंडली में ऐसे स्थान पर बैठा है, जिसके प्रभाव से अन्य ग्रहों के दुष्परिणाम अपने आप नष्ट हो जाते हैं। यह भी रूप से और गुण से सुंदर व संपन्न बनाता है। इसी के साथ माधुरी को उच्च कलाकार बनाता है। यह दूसरों की मदद के लिए भी प्रेरित करता है। बुध जिस राशि पर बैठा है वह हर प्रकार से सुख देता है। गुरु आपको जैसे के साथ तैसा (अर्थात् सज्जन के साथ सज्जन और दुष्ट के साथ दुष्ट वाला व्यवहार) व्यवहार करने वाला स्वभाव प्रदान करता है। कुंडली में गुरु चंद्र की राशि पर विराजमान रहने से हर प्रकार का सुख प्राप्त कराता है।
शुक्र कुंडली में जिस भाव में बैठा है वह भी सारे सुख प्रदान करता है। मिथुन राशि पर शुक्र का परिभ्रमण जन्म के समय से होने से सुखी-संपन्न बनाता है। पत्रिका में शनि ऐसे भाव में बैठा है जो धन एवं आयु में स्थिरता लाता है। साथ ही चिड़चिड़ापन भी देता है। शनि गुरु की राशि में विराजमान रहने के कारण आयु, आरोग्य देता है। राहु पसली से संबंधित तकलीफ देता है। अत: राहु की शांति अवश्य कराना चाहिए। माधुरी का जन्म गुरु की महादशा में हुआ जिसका भोग्यकाल 9 माह 19 दिन रहा। वर्तमान समय में केतु की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही थी, जो 7-3-2010 से 4-3-2011 तक थी। शुक्र की महादशा 4-3-2011 से 4-3-2031 तक रहेगी। शुक्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा 4-7-2014 तक चलेगी। उसके बाद सूर्य की अंतर्दशा 4-7-2015 तक रहेगी। आपके लिए मई व जून का महीना मध्यम रहेगा। जुलाई में छोटी-मोटी मुसीबतों से सामना करना पड़ेगा। अगस्त से सितंबर मध्य शुभ रहेगा। दिसंबर मध्य से अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक लाभ वाला रहेगा। नवंबर माह सामान्य बीतेगा। दिसंबर ठीक ही रहेगा। माधुरी ने पन्ना एवं पुखराज का संयुक्त लॉकेट धारण करना चाहिए। इति शुभम्।