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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

देव आनंद : गुरु ने दिलाई सफलता

Dev Anand | देव आनंद : गुरु ने दिलाई सफलता
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एक सफल व्यवसायी या अन्य व्यवसाय में राशि स्वामी का बड़ा ही योगदान रहता है। देव आनंद का राशि स्वामी गुरु, शुक्र की राशि तुला में है। गुरु का अपने ही नक्षत्र विशाखा में होने से उन्हें एक सफल कलाकार, निर्माता-निर्देशक की श्रेणी में ला खड़ा किया।

आपका जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब के गुरदासपुर में तुला लग्न मीन राशि मीन नवांश में हुआ। आपका पूरा नाम धर्मदेव किशोरीमल आनंद है, जो फिल्मी सफर के दौरान छोटा होकर देव आनंद होकर रह गया। फिल्मी सफर की दास्तान फिल्म 'हम एक है' 1946 से शुरू हुई, जिसने रुकने का नाम ही नहीं लिया।

लग्न तुला का स्वामी नीच का होकर द्वादश भाव में षष्टेश होकर बैठा है। यहां पर जिस भाव में ग्रह नीच का हो व उस भाव का स्वामी उसे देखें या उस नीच के ग्रह के साथ हो तो नीच भंग होता है। ऐसा ग्रह विशेष फलदायी होता है।

आपका जन्म उच्च के बुध में एकादशेश आय भाव के स्वामी सूर्य में हुआ। फिर केतु की दशा 14 दिसंबर 1934 से 11 जून 1940 तक रही।

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शुक्र कला का कारक है व चंद्र दशम (व्यापार भाव) का स्वामी है। आय भाव का स्वामी व्यय भाव में उच्च के बुध लग्नेश व षष्टेश शुक्र व पंचम भाव (मनोरंजन) के साथ चतुर्थ (सुख भाव) के स्वामी शनि के साथ है। आय का साधन एकादशेश जिस भाव में हो या जिस ग्रहों के साथ हो वहीं से आय के साधन देखे जाते हैं। देव आनंद की पत्रिका में फिल्मी दुनिया से होना साबित होता है। आय भाव में मंगल धनेश व सप्तमेश होकर राहु के साथ है। आपको फ्लॉप फिल्मों से आय में कमी भी रही।

आपकी पत्रिका में गुरु का बड़ा ही योगदान रहा। गुरु, सोचने की क्षमता, काम के प्रति ईमानदारी को देने वाला होता है और यदि लग्न में हो तो प्रभावशाली बना देता है। गुरु अपने ही नक्षत्र विशाखा में होने से फल में शुभता आ गई।

आपकी लंबी उम्र अष्टमेश के ग्रह के साथ शनि का होना रहा। शुक्र-शनि में आपसी मित्रता रहती है। अभी शनि का गोचरीय भ्रमण कन्या से हो रहा है, फिर 16 नवंबर से उच्च का होकर लग्न से भ्रमण करेगा जो आपके लिए फायदे का भी हो सकता है। आपकी लंबी उम्र की कामना सदा ईश्वर से करते हैं।