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Written By WD

नहीं भा रहा युवतियों को तालीबानी आदेश

युवा नहीं मानते तुगलकी आदेश

हरियाणा
FL
हरियाणा में महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा सरकारी दफ्तरों में महिलाओं के जींस और टी-शर्ट पहनने पर प्रतिबंध लगाने का तालीबानी आदेश युवाओं को पसंद नहीं आ रहा है। दफ्तर में पहनावे की शालीनता को बनाए रखने के लिए दिया गया फरमान महिलाओं और लड़कियों को रास नहीं आ रहा है।

कुछ युवतियों ने इस आदेश से असहमत होते हुए इस स्वतंत्रता के अधिकारों पर हनन बताया है। उनका कहना है कि किसी के खान-पान, रहन-सहन पर इस तरह की पाबंदी ठीक नहीं है। उनका कहना है कि हमें पहनावे ज्यादा संस्कृति का ध्यान रखना चाहिए। कुछ ‍महिलाओं ने स्वतंत्रता के अधिकारों का उपयोग अनुशासित ढंग से करने की बात भी कही है।

सामाजिक और महिला उत्थान के लिए काम करने वाले अधिकारियों का मानना है कि वेस्टर्न पहनावे और फूहड़ता को कम करने के लिए ऐसे फरमानों की जरूरत नहीं है। इसके लिए सामाजिक स्तर पर चिंतन की आवश्यकता है।

वहीं कॉलेज गर्ल्स इस फरमान का विरोध करते हुए कहती हैं कि साड़ी और सलवार सूट पहनने वाली लड़कियों या महिलाओं को ही भारतीय कहें यह जरूरी नहीं। पहनावे से संस्कृति प्रभावित नहीं होती है।

हरियाणा के ‍महिला एवं बाल विकास विभाग को महिलाओं के पहनावे पर नहीं उनके सामाजिक विकास पर ध्यान देना चाहिए। आज महिलाओं पर समाज में कितने ही अत्‍याचार किए जा रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ :

विशषज्ञ और कानूनवेत्ताओं का इस संबंध में भिन्न मत है। उनकी मिलीजुली प्रतिक्रिया कहती है कि हमारे संविधान में स्वाधीनता का सबको हक है लेकिन राष्ट्र के हित को सर्वोपरि मानते हुए सरकार किसी भी परिधान अथवा आपत्तिजनक सामग्री को प्रतिबंधित कर सकती है।

सरकार को इस बात का पूरा अधिकार है कि देश की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए वह कोई निर्णय ले सके लेकिन यह उनके स्वविवेक पर निर्भर करता है कि स्वतंत्रता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बीच की रेखा वह समझदारी से तय करे। कुछ विशेषज्ञ इस प्रतिबंध को उचित बताते हैं कि कामकाजी महिलाओं को अशिष्ट कपड़े पहनने से परहेज करना चाहिए।