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Written By ND

ऑप्टोमेट्री

ईश्वर के उपहार को बचाते हैं ऑप्टोमेट्रिस्ट

ऑप्टोमेट्री
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- अशोक जोशी

आज भारत के लिए अंधत्व एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस समय भारत में लगभग 1 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। यदि भारत में आँखों की देखभाल करने वाले प्रोफेशनल्स पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों तो 80 प्रतिशत लोगों को अंधा होने से बचाया जा सकता है।

किसी ने सच ही कहा है कि आँखें इंसान को परमात्मा से प्राप्त सर्वश्रेष्ठ उपहार हैं। यदि हम कुछ देख नहीं पाते तो वह सांसारिक सौंदर्य किस काम का होगा? संसार के सारे अजूबे और कुदरत के सब करिश्मे आँखों के बिना बेकार हैं।

अंधत्व में आगे है भार
इस दुनिया के एक तिहाई नेत्रहीन भारत के हैं और लाखों व्यक्ति किसी न किसी तरह की दृष्टिबाधिता के शिकार हैं। इनमें ऐसे कई लोग हैं जो यह चाहते हैं कि सारी दुनिया के प्रत्येक इंसान को, धरती पर ईश्वर की रचनाओं को देखें और सराहें। ऐसे लोगों के लिए ऑप्टोमेट्रिक्स का करियर एकदम उपयुक्त है जो लोगों की दृष्टि लौटाकर मदद के द्वारा इस क्षेत्र में सेवा करना चाहते हैं।

यह एक ऐसा करियर है जो अच्छी तरह से कार्यजीवन को विनियमित करता है। साथ ही इस पेशे से जुड़े व्यक्ति को हेल्थकेयर के पेशे का अटूट अंग भी बनाता है। जहाँ तक कार्य और पैसों का सवाल है, इस करियर में दोनों की कमी नहीं है।
  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस समय भारत में लगभग 1 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। यदि भारत में आँखों की देखभाल करने वाले प्रोफेशनल्स पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों तो 80 प्रतिशत लोगों को अंधा होने से बचाया जा सकता है।      


क्या है ऑप्टोमेट्री का पेशा?
ऑप्टोमेट्री वह व्यवहार अथवा पेशा है, जो दृष्टिबाधित लोगों की आँखों की जाँच कर दृष्टिदोष दूर करने के लिए करेक्टिव ग्लासेस अर्थात चश्मे के नंबर बताता है। इस दृष्टि से ऑप्टोमेट्रिस्ट वह व्यक्ति होता है जो ऑप्टोमेट्री में दक्ष होता है। ऑप्टोमेट्रिस्ट के जॉब प्रोफाइल में नेत्र रोगों के ऑक्यूलर और विजुअल लक्षणों को पहचानना, आँखों को प्रभावित करने वाली ढेरों समस्याओं को समझना तथा रोगियों को उपचार हेतु यथोचित विशेषज्ञों के पास भिजवाना शामिल है। इस तरह कोई भी ऑप्टोमेट्रिस्ट आँखों से संबंधित समस्याओं की पहचान कर उसका उपचार द्वारा निदान करता है।

बढ़ता जा रहा है ऑप्टोमेट्रिस्ट का महत्
हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में बुजुर्ग लोगों की आबादी में खासी वृद्धि हुई है। डाइबेटिक रेटिनोपैथी और मेक्युलर डिजनरेशन इन दिनों वृद्धजनों का आम रोग हो गया है। कम्प्यूटर और टीवी लगातार देखने से युवाओं की ही नहीं बल्कि बच्चों की आँखें भी प्रभावित हो रही हैं। इन सभी के उपचार में ऑप्टोमेट्रिस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि इन दिनों भारत में प्रशिक्षित ऑप्टोमेट्रिस्ट की माँग बढ़ती जा रही है। ऑप्टोमेट्रिस्ट की माँग बढ़ने का एक कारण यह भी है कि चश्मों, गॉगल्स, कांटेक्ट लैंस की माँग भी इन दिनों तेजी से बढ़ रही है

पात्रता ऑप्टोमेट्री के लिए
ऑप्टोमेट्री में करियर बनाने वालों को न्यूनतम 50 प्रश अंकों के साथ भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, बायोलॉजी/गणित तथा अँगरेजी में 10+2 पास होना चाहिए। क्लिनिकल ऑप्टोमेट्री में बैचलर डिग्री के लिए आवेदन करने वालों के नाम शॉर्ट लिस्टेड कर उन्हें लिखित प्रवेश परीक्षा तथा इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा कोर्स करने के लिए दसवीं अथवा बारहवीं में उत्तीर्ण होना ही पर्याप्त है। जिन्होंने क्लिनिकल ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा कोर्स पूरा कर लिया है, उन्हें ऑप्टोमेट्री डिग्री कोर्स के तीसरे वर्ष में सीधे प्रवेश मिल जाता है।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

एप्टीट्यूट कैसा हो?
चिकित्सकीय देखभाल से जुड़े सभी प्रोफेशन्स की पहली आवश्यकता है सेवा-भावना या सेवा की विचारधारा का होना। इसलिए ऑप्टोमेट्री में करियर बनाने वालों में भी लोगों की सेवा करने की इच्छा होनी चाहिए। चूँकि ऑप्टोमेट्रिस्ट का कार्य लैंसों से जुड़ा होता है, जिसमें उच्च स्तरीय परिशुद्धता तथा सूक्ष्मता जरूरी होती है, इसलिए ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने वालों को धैर्य, लगन तथा परिश्रम के साथ कार्य करने लायक होना चाहिए। उन्हें ऑप्थलमोलॉजिस्ट के साथ टीम के रूप में काम करना होता है इसलिए उनके लिए टीम भावना सर्वोपरि है। इसके साथ ही उनकी सोच तथा मानसिकता वैज्ञानिक होनी चाहिए।

कोर्
देशभर में फैले विभिन्न संस्थानों में ऑप्टोमेट्री में चार वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। चार वर्षीय बैचलर डिग्री में प्रवेश लेने वाला छात्र आँखों की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी के साथ मैकेनिकल ऑप्टिक्स, ऑक्यूलर, मोटिलिटी का पहले तीन सालों में सैद्धांतिक अध्ययन करता है। डिग्री के चौथे साल उन्हें व्यावहारिक अथवा प्रेक्टिकल ज्ञान दिया जाता है।

संभावनाए
बतौर ऑप्टोमेट्रिस्ट अस्पतालों और क्लिनिक्स में जॉब प्राप्त किया जा सकता है, जहाँ नेत्र रोग चिकित्सक की सहायता करनी होती है। यदि चाहें तो ऑप्टिकल इस्टेब्लिशमेंट में स्वतंत्र रूप से काम किया जा सकता है या खुद स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की जा सकती है। भारत में मास्टर्स डिग्री प्राप्त करने के बाद अमेरिका जाकर इस विषय में पीएचडी भी की जा सकती है। अमेरिका में शिक्षण तथा अनुसंधान कार्य भी किए जा सकते हैं तथा कनाडा विवि में भी करियर बनाया जा सकता है। भारत के कई ऑप्टोमेट्रिस्ट अमेरिका में सफलतापूर्वक प्रैक्टिस कर रहे हैं।

इस समय भारत में ऑप्टोमेट्री एक उभरता हुआ करियर विकल्प है जिसमें भविष्य निर्माण की अपार संभावनाएँ हैं क्योंकि आँकड़े बताते हैं कि देश में आवश्यक दो लाख प्रशिक्षित ऑप्टोमेट्रिस्ट की तुलना में इस समय केवल 2-3 हजार ट्रेंड प्रोफेशनल्स ही इस व्यवसाय से जुड़े हैं। आज भले ही नीम-हकीम और चश्मा बेचने वाले यह काम कर रहे हैं लेकिन भविष्य में जब भारत में ऑप्टोमेट्री का विनियमन निकाय काम करने लगेगा, यह करियर ऊँचाइयों को छूने लगेगा।

पारिश्रमि
प्रोफेशनल ऑप्टोमेट्रिस्ट को शुरुआत में 15-20 हजार रुपए वेतन मिलता है। यदि अच्छे संस्थान से कोर्स किया है तथा क्षमताएँ अच्छी हैं तो यह वेतन और अधिक हो सकता है। जैसे-जैसे लोगों में नेत्र सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने लगेगी और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस क्षेत्र में रेगुलेटरी बॉडी स्थापित कर दी जाएगी, ऑप्टोमेट्रिस्ट की सेलरी का ग्राफ भी ऊपर उठता जाएगा।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर