हिसाब जल्दी चुकाने में ही फायदा
वेबदुनिया डेस्क
एक बार एक व्यापारी को काफी घाटा हुआ। उसने एक महाजन से कर्ज लेकर व्यापार को आगे बढ़ाया। जल्द ही सब कुछ ठीक हो गया। कर्ज वापसी की मियाद पूरी होने पर महाजन द्वारा भेजे गए आदमी को व्यापारी ने व्यस्तता बताकर वापस भिजवा दिया। इसके बाद वसूली करने वाले आदमी को व्यापारी कोई न कोई बहाना बनाकर लौटाता रहा। महाजन समझ गया कि व्यापारी की नीयत ठीक नहीं है। उसे कुछ और उपाय करना पड़ेगा। एक दिन व्यापारी ने अपनी सफलता की खुशी में भोज का आयोजन किया, लेकिन उसमें महाजन को आमंत्रित नहीं किया। महाजन उस भोज में चार लठैत लेकर उगाही के लिए पहुंच गया। भोज में शहर के सभी प्रमुख लोग मौजूद थे। महाजन वहां जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी रकम वापस मांगने लगा। रंग में भंग पड़ चुका था। सरेआम होती बेइज्जती और मौके की नजाकत को भांपते हुए व्यापारी रकम उसके हाथ में देते हुए धीरे से बोला- ऐसा करना तुम्हें बहुत महंगा पड़ेगा। मैं अपनी बेइज्जती का हिसाब चुकता करके रहूंगा। इस पर महाजन बोला- अरे जाओ भी, जब तुम अपना पहला ही हिसाब आसानी से चुकता नहीं कर पाए तो अब क्या कर लोगे। इसलिए यदि आप भी किसी के देनदार हैं तो देकर खाता बंद क्यों नहीं कर देते। सामने वाले को क्यों लटकाते-टरकाते हो। ऐसा करने से मार्केट में आपकी छवि धूमिल होती है। इससे आपको फिर कभी जरूरत पड़ने पर कोई मदद करने को तैयार नहीं होगा।मित्रों, देखा क्या अहसान फरामोश व्यापारी था। जिस व्यक्ति ने मदद की, उसे ही परेशान करता रहा और बाद में हिसाब चुकता करने की धमकी तक दे दी, जबकि अपनी बेइज्जती के लिए वह खुद ही दोषी था। यदि समय रहते वह उधारी चुका देता तो फिर उसे यह दिन नहीं देखना पड़ता। अब कहते हैं न कि जैसा करोगे वैसा भरोगे। यह बात हर उस व्यक्ति को आत्मसात कर लेना चाहिए जो उस व्यापारी की तरह किसी लेनदार को चक्कर लगवा रहा है। क्योंकि आज नहीं तो कल उसको भी लेने के देने पड़ सकते हैं।