नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को मोदी सरकार का तीसरा रेल बजट पेश करते हुए हिन्दी के मशहूर दिवंगत कवि हरिवंशराय बच्चन और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं का जिक्र कर उसे ‘काव्यात्मक’ भी बना दिया। इसके साथ ही अपने भाषण के अंत में भगवान बुद्ध को भी याद किया।
प्रभु ने लोकसभा में वर्ष 2016-17 के लिए रेल बजट पेश करते हुए न केवल अपने भाषण के प्रारंभ में ही बल्कि अंत में भी वाजपेयीजी की कविता की 2 पंक्तियां उद्धृत कीं और रेलवे के समक्ष चुनौतियों का सामना करने के लिए उनसे प्रेरणा भी ग्रहण की।
उन्होंने कहा कि यह समय चुनौतियों से भरा है, शायद सबसे मुश्किल भी। हमारे सामने दो प्रमुख चुनौतियां हैं, जो पूरी तरह से हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण हमारी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में धीमी प्रगति तथा 7वें वेतन आयोग और बढ़ी हुई उत्पादकता से संबद्ध बोनस का प्रभाव। इसके अलावा परिवहन में रेलवे की हिस्सेदारी, जो 1980 में 62 प्रतिशत से गिरकर 2012 में 36 प्रतिशत हो गई थी, का भी हम पर दबाव बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि मुझे इस समय हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं-
'विपदाएं आती हैं, आए, हम न रुकेंगे, हम न रुकेंगे/ आघातों की क्या चिंता है, हम न झुकेंगे, हम न झुकेंगे।'
प्रभु ने अपने भाषण के अंत में वाजपेयी की दो पंक्तियां फिर उद्धृत कर लक्ष्यों को प्राप्त करने के अपने मजबूत इरादों को भी पेश किया।
उन्होंने वाजपेयीजी की इन पंक्तियों को उद्धृत किया-
'जब तक ध्येय पूरा न होगा, तब तक पग की गति न रुकेगी/ आज कहे चाहे कुछ दुनिया, कल को बिना झुके न रहेगी।'
इससे पहले अपने भाषण के प्रारंभ में उन्होंने हरिवंशराय बच्चन की पंक्तियों को भी पढ़ा-
'नव उमंग नव तरंग, जीवन का नव प्रसंग/ नवल चाह, नवल राह जीवन का नव प्रवाह।'
रेलमंत्री ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि अपने इस सफर के दौरान मुझे गौतम बुद्ध का स्मरण हो रहा है जिन्होंने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति यात्रा करता है तो वह दो गलतियां कर सकता है- पहली यात्रा शुरू ही न करे और दूसरी सफर पूरा न करे।
हम अपना सफर पहले ही शुरू कर चुके हैं और मैं इस यात्रा को पूरा भी करना चाहता हूं। हम भारतीय रेल को समृद्धि अथवा सफलता की मंजिल तक पहुंचाने से पहले नहीं रुकेंगे। (वार्ता)