Last Modified: नई दिल्ली ,
सोमवार, 18 फ़रवरी 2013 (19:03 IST)
बजट में एसएमई को बढ़ावा देने के उपाय हों
भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा
नई दिल्ली। प्रमुख औद्योगिक संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने देश के औद्योगिक उत्पादन में 40 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी करने वाले लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) को बढ़ावा देने के लिए अगले वित्त वर्ष के बजट में उपाय किए जाने की सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे कर प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाए, जो इस क्षेत्र के विकास पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं।
बजट पूर्व वित्त मंत्रालय को भेजे अपने सुझावों में सीआईआई ने कहा कि सरकार को एसएमई पर लगाए गए ऐसे कर प्रावधानों पर पुनर्विचार करना चाहिए, जिससे उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है। चालू वित्त वर्ष के बजट में भागदारी वाली कंपनियों और पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनियों सहित सभी कारोबारी प्रतिष्ठानों पर 18.5 प्रतिशत की दर से वैकल्पिक न्यूनतम कर (एएमटी) लगा दिया गया था।
वास्तव में यह कर न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) का विस्तार है। सरकार एमएटी के तहत ऐसी कंपनियों को कर के दायरे में लाई थी जो शून्य कर का भुगतान करती है। सरकार ने एएमटी के माध्यम से सभी छोटी कंपनियों पर बड़ी कंपनियों की तरह कर लगा दिया और छोटी कंपनियों की सिर्फ 20 लाख रुपए की प्रारंभिक आय को इसके दायरे से बाहर रखा गया।
सीआईआई ने कहा कि एएमटी लगाए जाने से एसएमई पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इस क्षेत्र की कंपनियों पहले से ही वित्त इंफ्रास्ट्रक्चर लागत कुशल श्रमिकों की समस्या से जुझ रही है।
उसने कहा कि एएमटी लगाए जाने से छोटी और मझौली कंपनियों की प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रभावित हो रही है। सीआईआई ने कहा कि 20 लाख रुपए की प्रारंभिक आय वाली कंपनियों को इससे बाहर रखने का भी प्रावधान किया गया है, लेकिन यह धनराशि उन कंपनियों के लिए बहुत कम है, जो अपनी क्षमता विस्तार की योजना बना रही है।
सीआईआई ने इसके मद्देनजर सरकार से एएमटी को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करते हुए इस क्षेत्र के विकास के लिए बजट में उपाय करने का आग्रह किया है। उसने एसएमई के लिए अग्रमि कर भुगतान को लचीला बनाने की अपील की है। (वार्ता)