वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में फिर आम बजट लेकर तैयार हैं। वैश्विक आर्थिक संकट, महँगाई और सूखे की मार के कारण इस बार प्रणब दा के पिटारे से ज्यादा सौगातों की उम्मीद न तो अर्थ जगत कर रहा है और न ही आम आदमी। अलबत्ता उद्योग संगठनों का दिल तो इस चिंता में बैठा जा रहा है कि कहीं अर्थशास्त्री मनमोहनसिंह का यह सबसे वरिष्ठ सिपहसालार प्रोत्साहन पैकेजों को वापस न ले ले।
फिर भी दामों के दावानल में पूरी तरह झुलस चुकी जनता इसी आस में है कि प्रणब उन पर रियायतों की कुछ राहतभरी बूँदें जरूर डालेंगे। वरिष्ठ नागरिक, नौकरी पेशा वर्ग, गृहिणियाँ, विद्यार्थी और व्यापारी वर्ग हर किसी की यही तमन्ना है कि वित्तमंत्री पिछली बार की तरह इस मर्तबा भी लोकलुभावन बजट पेश करेंगे।