Last Modified: इंदौर ,
रविवार, 24 फ़रवरी 2008 (18:04 IST)
कहाँ गई रिवर्स मार्टगेज योजना
गत वर्ष वित्त मंत्री ने बजट में वरिष्ठ नागरिकों को सुविधा के लिए गृह ऋणों के स्थान पर जो रिवर्स मार्टगेज लोन की योजना घोषित की थी, वह लगभग पूरी तरह से असफल रही।
देश में 8 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिक हैं किंतु नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारियों के अनुसार केवल 150 लोगों ने इस योजना का लाभ लेना चाहा। उन्हें भी इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और समझ में आया कि अन्य तरीकों से धन जुटाना ज्यादा अच्छा होता।
एक 77 वर्षीय ने अपने तथा अपनी पत्नी के इलाज के खर्चों की व्यवस्था के लिए अपने मकान को बंधक रखकर इस योजना का लाभ लेना चाहा, तो सारे दस्तावेज पेश करने के बाद संपत्ति का मूल्यांकन कराने में 15000 रु. खर्च करने पड़े। फिर उसे मासिक किस्त मिलना शुरू हुई। इसमें भी 10 से 12 प्रतिशत ब्याज का भार है। उसे हर 5 वर्ष में संपत्ति का मूल्यांकन कराना है और किस्त व ब्याज की दर परिवर्तनीय है।
मकान-संपत्ति बैंक के नाम बंधक होती है। वह केवल उसमें रह सकता है। मगर दो बातें अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। एक तो यह कि ऋणी को मिलने वाली किस्त को आय में शामिल कर आयकर लगेगा या नहीं और दूसरा मकान संपत्ति की आय व मकान, संपत्ति के विक्रय पर होने वाले पूँजी लाभ पर कर कौन भरेगा।
वित्त मंत्री ने योजना की घोषणा करते समय कहा था कि मकान-संपत्ति को बंधक रखकर वरिष्ठ नागरिक शेष जीवन या एक निश्चित अवधि तक निर्धारित आय पाने का अनुबंध कर सकेंगे। मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को संपत्ति से प्राप्त मूल्य में से ऋण व ब्याज की राशि घटाकर शेष रकम वापस कर दी जाएगी।
अनेक लोगों को यह योजना काफी आकर्षक लगी थी। गृह वित्त व्यवसाय करने वाली संस्थाओं ने इसका स्वागत भी किया था किंतु केंद्रीय प्रत्यक्ष कर मंडल द्वारा जरूरी स्पष्टीकरण जारी नहीं करने से इसका प्रचार नहीं हो सका। उम्मीद है कि वित्तमंत्रीजी आगामी बजट में इसकी त्रृटियों को दूर कर असरकारक बनाएँगे।