Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) ,
मंगलवार, 19 फ़रवरी 2008 (19:54 IST)
निर्यातकों को राहत के संकेत
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने आगामी बजट में निर्यातकों को कर राहत देने और घरेलू उद्योग को 'उल्टे शुल्क ढाँचे' से निजात दिलाने की कवायद का संकेत दिया।
उल्टे शुल्क ढाँचे का मतलब ऐसी कर व्यवस्था से है जहाँ किसी तैयार वस्तु पर आयात शुल्क उसके कच्चे माल पर शुल्क से कम होता है। निर्मित वस्तु का आयात सस्ता पड़ता है।
कमलनाथ ने उद्योग मंडल फिक्की के 80वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन एक सत्र में रुपए की मजबूती और ब्याजदर में वृद्धि के कारण निर्यातकों को आ रही समस्या पर एक सवाल के जवाब में कहा कि मुझे इस पर जहाँ लड़ना है लड़ रहा हूँ।
कमलनाथ ने कहा कि कच्चे माल पर तैयार माल से अधिक कर का मुद्दा महत्वपूर्ण है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इस प्रकार की उल्टी शुल्क व्यवस्था को इसी वर्ष ठीक करने का समय है, क्योंकि एक वर्ष में हम कई क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते लागू करने जा रहे हैं। उसको देखते हुए घरेलू उद्योगों की इस शिकायत का निवारण होना ही चाहिए।
फिक्की के महासचिव डॉ. अमित मित्रा ने कहा कि ऐसी 430 चीजें हैं जहाँ कच्चे माल पर आयात शुल्क तैयार माल से अधिक है। उन्होंने इस संबंध में पहला उदाहरण टायर का दिया जहाँ रबड़ पर आयात शुल्क टायर पर शुल्क से ऊँचा है। इससे विदेशों से टायर का आयात सस्ता पड़ता है तथा घरेलू निर्माता असुविधा में पड़ते हैं।
मित्रा ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि 2007-08 के बजट में ही उल्टे शुल्क ढाँचे को खत्म कर दिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ।
इससे पहले अपने संबोधन में कमलनाथ ने माना कि रुपए की विनिमय दर और महँगे कर्ज के घरेलू उद्योग की शिकायत में दम है। उन्होंने इस शिकायत को दूर करने की सरकार की मंशा का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि उद्योग इस संबंध में बजट या उसके ठीक बाद कुछ उपायों की उम्मीद कर सकता है।
इससे लगता है कि 29 फरवरी के बजट या मार्च के अंत में जारी की जाने वाली वार्षिक निर्यात आयात नीति में भी ये उपाय आ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपए की दर 12 प्रतिशत चढ़ गई है, जिससे भारतीय माल विदेशियों को महँगा दिखने लगा है।
कमलनाथ ने कहा कि भारत ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ शुल्क मुक्त व्यापार व्यवस्था का समझौता होने ही वाला है। जापान से ऐसे समझौते की बातचीत अच्छी प्रगति पर है तथा यूरोपीय संघ के साथ भी बातचीत चालू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय समझौते को लागू करने के बाद भारत ने थाईलैंड के साथ एफटीए को लागू करना शुरू कर दिया है।
सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता लागू करने को तैयार है। भारत कई अन्य देशों और क्षेत्रीय बाजार समूहों से इस प्रकार के समझौतों की बातचीत कर रहा है।