शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. बौद्ध धर्म
  4. buddhist scriptures
Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

बौद्ध धर्म ग्रंथ को जानिए

बौद्ध धर्म ग्रंथ को जानिए - buddhist scriptures
बौद्ध धर्म के मूल तत्व है- चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएं, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं।
 
त्रिपिटक के तीन भाग है- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएं है। सुत्तपिटक के पांच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।
 
त्रिपिटक बौद्ध धर्म का ग्रंथ है। बौद्ध धर्म से संबंधित जातक कथाएं और बोध कथाएं दुनियाभर में प्रचलित है। त्रिपिटक के आधार पर शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, खगोल आदि संबंधी लाखों ग्रंथ थे जिनको आक्रांताओं ने तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के विध्वंस में जला दिया।

भगवान के जीवनकाल में समग्र बुद्धवाणी इन नौ भागों में विभाजित की गई थी- सुत्तं, गेय्यं, वैय्याकरणं, गाथा, उदानं, इतिवुत्तकं, जातकं, अब्भुतधम्मं, वेदल्लं। संभवतः इन्हीं को भगवान ने धम्म, विनय और मातिका कहा और आगे चलकर संभवतः ये ही सुत्तपिटक, विनयपिटक और अभिधम्मपिटक के नाम से संपादित एवं संग्रहीत हुए।

पुन:श्च:
बौद्ध धर्मग्रंथ : बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के 3 भाग हैं- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उपग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएं हैं। सुत्तपिटक के 5 भागों में से एक खुद्दक निकाय की 15 रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।
 
बौद्ध धर्म के मूल तत्व हैं- 4 आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएं, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के 3 भाग हैं- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उपग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएं हैं। सुत्तपिटक के 5 भाग में से एक खुद्दक निकाय की 15 रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।
 
हालांकि धम्मपद पहले से ही विद्यमान था, लेकिन उसकी जो पां‍डुलिपियां प्राप्त हुई हैं, वे 300 ईसापूर्व की हैं। भगवान बुद्ध के निर्वाण (देहांत) के बाद प्रथम संगीति राजगृह में 483 ईसा पूर्व हुई थी। दूसरी संगीति वैशाली में, तृतीय संगीति 249 ईसा पूर्व पाटलीपुत्र में हुई थी और चतुर्थ संगीति कश्मीर में हुई थी। माना जाता है कि चतुर्थ संगीति में ईसा मसीह भी शामिल हुए थे। माना जाता है कि तृतीय बौद्ध संगीति में त्रिपि‍टक को अंतिम रूप दिया गया था।
 
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को उपलब्ध हुए।
 
प्रस्तुति: अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'