निर्माता : मुकेश शाह, सुनील एस. सैनी निर्देशक : आशु त्रिखा संगीत : आनंद राज आनंद कलाकार : मिथुन चक्रवर्ती, सोहम, ओमपुरी, सुशांत सिंह, उर्वशी शर्मा, मुकेश तिवारी, टीनू आनंद, गोविंद नामदेव, शक्ति कपूर
एक 12 वर्षीय लड़का लखनऊ के भीड़-भाड़ वाले इलाके अमन गंज में दिन दहाड़े एक आदमी की गोली मार कर हत्या कर देता है। मारने के बाद उस बच्चे की आँखों में न कोई भय और न ही कोई पछतावा है। इस हत्या को देख हर कोई दहशत में डूब गया, लेकिन उस बच्चे के चेहरे पर किसी प्रकार का कोई अफ़सोस नहीं है।
अमन गंज की गलियों से शुरू हुआ उसका आपराधिक सफ़र कानून की हर सीमा को तोड़ता हुआ आगे बढ रहा था और हर किसी को आघात पहुँचा रहा था। बाबर से राज्य के हर साधारण आदमी से लेकर सरकार भी भय खा रही थी।
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12 वर्ष का बाबर अब युवक (सोहम) बन चुका है। मई 2004 में जब राज्य में बाबर का दहशत अपनी चरम सीमा पर फैल चुका था तब सरकार ने एनकाउंटर विशेषज्ञ एस. पी. द्विवेदी (मिथुन चक्रवर्ती) को राज्य से सोहम नाम के डर को ख़त्म करने के लिए नियुक्त किया। जिनका आदेश बिलकुल साधारण है कि सोहम को पकड़ो या मार दो।
जब एसपी द्विवेदी इस मिशन पर होते हैं तब उन्हें महसूस होता है कि बाबर को पकड़ना बहुत ही मुश्किल काम है। वे अपने इस मिशन में दरोगा चतुर्वेदी (ओम पुरी) को शामिल करते हैं। दोनों कानून के दायरे में रह कर व उसके परे भी जाकर असामाजिक तत्व बाबर को ख़त्म करने के लिए उसके विरोधी खूँखार तबरेज (सुशांत सिंह) को अपने साथ मिला लेते हैं।
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क्या बाबर पकड़ा जा सकेगा? क्या द्विवेदी अपने मिशन में कामयाब हो पाएगा? द्विवेदी को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? जानने के लिए देखिए ‘बाबर’।