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Written By समय ताम्रकर

देशद्रोही

देशद्रोही
IFM
निर्माता : कमल रशीद खान
निर्देशक : जगदीश शर्मा
संगीत : निखिल, प्रमोद नायर
कलाकार : ग्रेसी सिंह, रवि किशन, मनोज तिवारी, हृषिता भट्ट, मुकेश तिवारी, यशपाल शर्मा, निर्मल पांडे, रंजीत, रजा मुराद, शक्ति कपूर, कादर खान, प्रेम चोपड़ा, किम शर्मा, कमल रशीद खान


उत्तर भारत के गाँव में रहने वाला राजा एक कुंठित व्यक्ति है। वह किसान परिवार से है। नेहा नामक लड़की राजा को चाहती है। एक दिन राजा सबको छोड़ अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई पहुँच जाता है।

राजा का दोस्त शेखर मुंबई में ही रहता है और वॉचमैन की नौकरी करता है। वह राजा को भी वॉचमैन बनने की सलाह देता है, जिसे राजा ठुकरा देता है। सोनिया नाम की एक लड़की से राजा की अक्सर मुलाकात होती है जो बाबा कदम के लिए मजबूरीवश काम करती है। बाबा ड्रग्स का डीलर है।

उत्तर भारतीय होने के नाते राजा को मुंबई में रहने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। श्रीवास्तव उत्तर भारतीयों का नेता है, जिसे वे अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन वह दूसरे नेताओं की तरह भ्रष्ट और स्वार्थी है।

फिल्म में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री को भी दिखाया गया है, जो आम जनता को बेवकूफ बनाते हैं। मीडिया के कुछ लोग अखबार और टेलीविजन के जरिए इन नेताओं की पोल खोलना चाहते हैं।

बाबा के लिए काम करने की वजह से सोनिया की राजन नायक से दुश्मनी है। राजन नायक ड्रग डीलर है और उसके राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। एक दिन राजन के एक आदमी की सोनिया सरेआम पिटाई करती है।

राजन इसका बदला लेने के लिए अपने भाई को भेजता है। सोनिया को बचाने के लिए राजा आ जाता है और उसके हाथों राजन नायक के भाई का खून हो जाता है। राजन बौखला जाता है। वह राजेश शर्मा नामक इंसपेक्टर को सोनिया और राजा को मारने का कांट्रेक्ट देता है।

राजा और सोनिया के पीछे पुलिस और माफिया के लोग पड़ जाते हैं। सोनिया की आंटी के यहाँ दोनों छिप जाते हैं। इस दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
IFM

मौके का फायदा उठाने के उद्देश्य से बाबा कदम दोनों को डबल क्रॉस करता है। श्रीवास्तव भी दोनों की मदद का नाटक करता है। यह सारा घटनाक्रम न्यूज़ चैनलों के लिए ‘हॉट केक’ बन जाता है। युवा इंस्पेक्टर रोहित राघव कसम खाता है कि वह जल्दी ही राजा को गिरफ्तार करेगा।
राजा महसूस करता है कि पूरी राजनीतिक व्यवस्था भ्रष्ट हो चुकी है। वह अपने हाथों में कानून लेकर एक-एक खलनायकों की हत्या करना शुरू कर देता है। मीडिया यह जानने की कोशिश करता है कि ये हत्याएँ कौन कर रहा है।
फिल्म के अंत में वह श्रीवास्तव को भी मार डालता है। इस घटनाक्रम को मीडिया कवर करता है। आखिर में सोनिया को लेकर राजा अपने गाँव लौट जाता है।