ध्वनि के जरिये चित्र बनाने वाले उदित दूसेजा
काई पो छे के साउंड को किया डिजाइन
काई पो छे में सुशांत-राजकुमार-अमित के अभिनय और अभिषेक कपूर के निर्देशन की तारीफ तो हो ही रही है, साथ में तकनीकी रूप से भी फिल्म बेहद सशक्त है। फिल्म की फोटोग्राफी, बैकग्राउंड म्युजिक और साउंड इफेक्ट्स फिल्म को अतिरिक्त धार प्रदान करते हैं।
काई पो छे में लीड साउंड डिजाइनर हैं बेलॉन फॉनसेका और उनके साथ काम किया है उदित दूसेजा ने। उदित मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से हैं। एक छोटे शहर से फिल्मों में स्थान बनाना बेहद मुश्किल काम है और वैसे भी फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाना आसान बात नहीं है। इरादे मजबूत हों तो मंजिल मिल ही जाती है। उदित ने साउंड डिजाइनर बनने की ठानी और इसी लाइन में आगे बढ़ने का निश्चय किया। उन्होंने बैंक से विद्यार्थियों को मिलने वाला लोन लिया और पढ़ाई के लिए लंदन गए। वर्ष 2007 में द यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से एम.एससी. (साउंड डिजाइन) की डिग्री ली और धीरे-धीरे पहचान बना ली। आखिर साउंड डिजाइन क्या है? इस बारे में उदित का कहना है कि मेरे लिए साउंड डिजाइन एक अदृश्य आर्किटेक्चर के समान है। साउंड सिनेमा के अहसास को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ा देता है। यह एक ऐसी कला है जिसमें हमें साउंड का सही संतुलन संवाद और संगीत में बनाए रखना पड़ता है इससे विज्युअल का प्रभाव और बढ़ जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक ऐसी पेंटिंग है जिसमें हम ध्वनि के जरिये चित्र बनाते हैं। काई पो छे के बारे में उदित का कहना है ‘बेलॉन इस फिल्म के लीड साउंड डिजाइनर हैं। मैं पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान प्रोजेक्ट से जुड़ा। मैंने फिल्म के साउंड इफेक्ट को डिजाइन और एडिट किया है।‘ फीचर फिल्म, शॉर्ट फिल्म, विज्ञापन फिल्म में उदित ने बतौर साउंड डिजाइनर/ मिक्सर/ रिकॉर्डिस्ट के काम किया। भारत और लंदन दोनों जगह से वे काम करते हैं। जोकर, गेम, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा, काई पो छे जैसी हिंदी फिल्मों के अलावा कई अंग्रेजी फिल्मों के लिए उन्होंने काम किया है। कृष 3 में भी उनके काम करने की उम्मीद है।