SWA अवॉर्ड से पहले राइटर्स का खुलासा, बताया आखिर क्यों दर्शक टीवी शोज छोड़ कर रहे ओटीटी का रुख
SWA अवॉर्ड अब अपने अंतिम चरण पर हैं 27 फरवरी को इस अवॉर्ड की घोषणा होगी। लेकिन उसके पहले स्क्रीन राइटर एसोसिएशन ज्यूरी के प्रेस मिट पर मीडिया से रूबरू हुए तमाम सवालों में एक बात का खुलासा हुआ। ओटीटी के जमाने में राइटर्स को अपनी कला को दिखाने का एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म मिल गया। क्योंकि हर किस्म की कहानी और किस्से को ओटीटी खुले दिल से अपना रहा हैं।
जी हां, टीवी राइटर्स के लिए आजकल सबसे बड़ी चुनौती हैं कि अपनी स्क्रीनप्ले से दर्शकों को घंटे भर बांधकर रखे, लेकिन टीआरपी की होड़ में बड़े से बड़े सीरियल में अपनी कलम का जादू बिखेर चुके राइटर यस मनस्वी कहते हैं कि आज के 12 से 15 साल पहले के सीरियल में किसी भी इमोशन को पनपने के लिए समय दिया जाता था और कहानी उस हिसाब से आगे बढ़ती थी लेकिन आज की ऑडियंस में पेशेंस नही हैं।
आज जब हम स्पेशल ब्रास्कास्ट टीम के साथ मीटिंग पर बैठते हैं तब हमसे कहा जाता हैं कि हर एपिसोड में धमाका चाहिए। हर एपिसोड में कांड चाहिए। तभी ही ऑडियंस देखेगी। ऐसे में कुछ ऐसे हैं जो ओटीटी और फॉरेन शो में अपने शोज ढूंढ लेते हैं। क्योंकि लगता हैं कि अब ऐसा ही हैं टेलीविजन।
इतना ही नहीं, टीवी राइटर्स ज्योति टंडन सेखरी का ये भी कहना हैं कि लोग कुछ नया न करने के चक्कर से भी डर जाते हैं और वापस अपने पुराने तरीके पर चले जाते हैं। आज सीरियल राइटिंग में काफी नयापन आ गया हैं लेकिन कही कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इमोशन से भरे सीरियल का अभी भी तहे दिल से स्वागत करते हैं। इसीलिए किरदार और कहानी के भाव को समझकर लिखने और परदे पर उसे जीने की जो कला हैं वो अभी भी जिंदा हैं और लोग उसे पसंद भी कर रहे हैं। भले आज की राइटिंग बदल गई हैं पर ऐसे भी सीरियल्स को लोग याद करते हैं जो उन्हें भावनाओ से जोड़ पाते थे।
कोरोना जैसी महामारी ने दुनिया को रोक दिया था लेकिन लेखक के कलम की हुनर को नही रोक पाई थी जिसके जादूई लिखावट के दम पर सीरियल्स और ओटीटी प्लेटफार्म पर लोगों को तमाम अलग अलग तरीके के शोज और फिल्मे देखने मिली और मिला जीवन के नजरिए को एक दिशा देने की उम्मीद और राइटर्स के इसी जज्बे को स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन सलाम करता हैं।