बॉलीवुड एक्ट्रेस जान्हवी कपूर के बॉयफ्रेंड शिखर पहाड़िया सोशल मीडिया पर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने ट्रोलिंग का करारा जवाब देकर सभी का ध्यान खींचा। दिवाली के मौके पर शिखर ने अपने पालतू कुत्तों और जान्हवी कपूर के साथ एक तस्वीर शेयर की थी। इस पोस्ट पर एक ट्रोल ने अभद्र टिप्पणी करते हुए लिखा, "लेकिन तू तो दलित है!"
शिखर पहाड़िया का करारा जवाब
अक्सर ट्रोलिंग को नज़रअंदाज़ करने वाले शिखर इस बार चुप नहीं रहे। उन्होंने सख्त लहजे में जवाब देते हुए लिखा, "ये बहुत ही दयनीय है कि 2025 में भी कुछ लोग इतनी संकीर्ण और पिछड़ी सोच रखते हैं। दिवाली रोशनी, प्रगति और एकता का पर्व है, जो आपकी सीमित बुद्धि से परे है। भारत की असली ताकत उसकी विविधता और समावेशिता में है, जिसे आप समझने में असमर्थ हैं। अज्ञानता फैलाने की बजाय खुद को शिक्षित करें, क्योंकि अभी केवल एक चीज़ 'अछूत' है और वो है आपकी सोच।"
शिखर की पोस्ट और दिवाली संदेश
शिखर पहाड़िया ने दिवाली पर एक बेहद खूबसूरत संदेश भी शेयर किया। उन्होंने लिखा,
"भगवान राम के आगमन से प्रकाश और समृद्धि का वर्ष आए, बुराई पर अच्छाई राज करे और हमें हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति और विवेक मिले। धन्य हैं वे, जिनमें दूसरों की मदद करने, उन्हें ऊपर उठाने और उनकी रक्षा करने की क्षमता होती है। इस आशीर्वाद को पहचानें और कृतज्ञता के साथ जिएं।"
कौन हैं शिखर पहाड़िया?
शिखर पहाड़िया का नाम सिर्फ जान्हवी कपूर के बॉयफ्रेंड के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार के सदस्य के रूप में भी लिया जाता है। वह पूर्व गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे के ग्रैंडसन हैं। उनकी मां स्मृति शिंदे एक अभिनेत्री हैं, जबकि उनके बड़े भाई वीर पहाड़िया हाल ही में अक्षय कुमार की फिल्म "स्काई फोर्स" से बॉलीवुड में डेब्यू कर चुके हैं। हालांकि, शिखर की फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने की कोई योजना नहीं है।
सोशल मीडिया पर शिखर की तारीफ
शिखर पहाड़िया की इस प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर लोग उनकी स्पष्टवादिता और दृढ़ता की सराहना कर रहे हैं। जहां एक ओर कुछ लोग उनकी पोस्ट को सकारात्मकता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह घटना यह भी दर्शाती है कि आज भी समाज में जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियां मौजूद हैं।
शिखर का यह बयान न सिर्फ एक ट्रोल को जवाब था, बल्कि समाज के उन लोगों के लिए भी एक सबक था जो अब भी पिछड़ी सोच से बाहर नहीं आ पाए हैं।