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Last Modified: शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (11:34 IST)

विवादों में घिरी 'रॉकेट्री : द नांबी इफेक्ट', पूर्व वैज्ञानिकों ने क्यों बताया नांबी नारायण के दावों को झूठा?

विवादों में घिरी 'रॉकेट्री : द नांबी इफेक्ट', पूर्व वैज्ञानिकों ने क्यों बताया नांबी नारायण के दावों को झूठा? | film rocketry the nambi effect defames isro with lies about nambi narayanan says former scientists
बॉलीवुड एक्टर आर माधवन की हालिया रिलीज फिल्म 'रॉकेट्री : द नांबी इफेक्ट' ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त बिजनेस किया है। फिल्म ने देशभर में खूब तारीफें बटोरीं। यह फिल्म इसरो के साइंटिस्ट नांबी नारायण की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे नंबी नारायणन को एक झूठे केस में फंसाकर देश के वैज्ञानिक विकास को अवरुद्ध किया गया। 

 
वहीं अब यह फिल्म विवादों में घिरती दिख रही है। हाल ही में इसरो के कुछ वैज्ञानिकों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फिल्म में दिखाए गए दावों पर सवाल उठाए हैं। खबरों के अनुसार तिरुवनंतपुरम में इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों के ग्रुप ने कहा फिल्म 'रॉकेट्री' में दिखाए गए कई दृश्यों में बिल्कुल सच्चाई नहीं है। 
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि नंबी नारायण इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को बदनाम कर रहे हैं। उनका यह दावा गलत है कि वह कई परियोजाओं के जनक हैं। पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा, फिल्म में दिखाया गया है कि नंबी नारायणन की गिरफ्तारी के कारण देश को क्रायोजेनिक इंजन बनाने में देरी का सामना करना पड़ा और इससे देश को वित्तीय नुकसान हुआ। लेकिन, यह दावा पूरी तरह से गलत है।
 
उन्होंने कहा, क्रायोजेनिक इंजन फ्रांस की वाइकिंग इंजन की मदद से विकसित किया गया। यह साइंटिस्ट लोगों की एक बड़ी टीम की मदद से सफल हुआ था। नंबी नारायण फ्रांस जाने वाले उस ग्रुप के मैनेजर थे। फ्रांस में नंबी ने सिर्फ मैनेजर वाला काम किया। टेक्निकल काम अन्य लोगों ने किया था।
 
पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि नारायण का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी से भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि इसरो ने पिछली सदी के नौवें दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था और ईवीएस नंबूतीरी इसके प्रभारी थे। नारायण का इससे कोई संबंध नहीं था। फिल्म में इसरो से संबंधित 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं।
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि नंबी नारायणन ने दावा किया है कि रॉकेट्री में सबकुछ सच दिखाया गया है, लेकिन फिल्म में दिखाए गए बहुत से सीन का सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि नंबी नारायण ने यह भी दावा किया है कि विक्रम साराभाई ने उन्हें अमेरिका के प्रेस्टन यूनिवर्सिटी में पीजी के लिए भेजा था, लेकिन यह सच नहीं है। जिस वैज्ञानिक को भेजा गया था, वो एलपीएस के निदेशक मुथुनायकम थे। 
 
वैज्ञानिकों ने फिल्म के एक और सीन को झूठा करार देते हुए बताया कि नंबी नारायण ने 1968 में इसरो जॉइन किया। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के अधीन केवल कुछ महीनों के लिए काम किया था। लेकिन नंबी नारायण ने फिल्म में दावा किया है कि उन्होंने एक बार अब्दुल कलाम को भी गलत फैसला लेने से रोका था। 
बता दें कि 'रॉकेटी : द नांबी इफेक्ट' बतौर डायरेक्टर आर माधवन की पहली फिल्म है। इस फिल्म को हिन्दी, इंग्लिश और तमिल भाषाओं में अलग-अलग शूट किया गया था। साथ ही तेलुगु और मलयालम भाषा में डब किया यह है। इस फिल्म में शाहरुख खान का भी कैमियो है।
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