दो बिलकुल अलग तासीर की फिल्में पिछले हफ्ते थिएटरों में आईं। एक तो थी महेश भट्ट कैम्प की "मर्डर-2", जिसमें "मर्डर" वाले सारे मसाले पहले से अधिक मात्रा में थे। दूसरी थी बच्चों की फिल्म "चिल्लर पार्टी", जिससे सलमान खान ने अपना नाम जोड़ रखा था।
पुरानी "मर्डर" अप्रत्याशित रूप से हिट गई थी और जब "मर्डर-2" को इसके सीक्वल के तौर पर प्रचारित किया गया, तो लोगों की अपेक्षाएँ बढ़ गईं। वैसे यह सही मायनों में सीक्वल नहीं है। साथ ही लगभग सभी का मानना है कि यह पहली "मर्डर" से उन्नीस ही ठहरती है। इसके बावजूद "मर्डर-2" ने अच्छी कमाई की है। तेज गति से चलती पटकथा तथा सेक्स का तड़का इसके प्लस पॉइंट साबित हुए हैं।
उधर "चिल्लर पार्टी" का संभावित दर्शक वर्ग सीमित था और उसका बॉक्स ऑफिस पर वही हश्र हुआ जो होना था। "देल्ही बैली" के खुमार और "मर्डर-2" की उत्तेजना के बीच इसे किसी ने नहीं पूछा। अब "जिंदगी न मिलेगी दोबारा" आई है, जिसके साथ बड़े नाम जुड़े हुए हैं, हालाँकि इसे "मास" फिल्म की बजाय "क्लास" फिल्म बताया जा रहा है। फिर 22 जुलाई को आ रही "सिंघम" मल्टीप्लेक्सों के साथ सिंगल स्क्रीन थिएटरों में भी अच्छी ओपनिंग ले सकती है।