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Last Modified: शुक्रवार, 29 जुलाई 2022 (18:22 IST)

'शर्माजी नमकीन' ऋषि कपूर की फिल्म, मेरा मकसद सिर्फ इसे पूरा करना था : परेश रावल

'शर्माजी नमकीन' ऋषि कपूर की फिल्म, मेरा मकसद सिर्फ इसे पूरा करना था : परेश रावल | paresh rawal says sharmaji namkeen rishi kapoors film my only aim was to complete it
'शर्माजी नमकीन' वैसे ये नाम ही सबकुछ कह देता है। जहां शर्माजी के जुनून के चलते इस फिल्म ने मुंह में पानी ला दिया, वहीं इसने हमारे दिलों को प्यार, कृतज्ञता और करुणा से भर दिया। नमकीनियत और भावनाएं फिल्म की सबसे बड़ी खासियत हैं, लेकिन स्वर्गीय ऋषि कपूर ने अपने प्रतिभाशाली को-स्टार्स के साथ इसे और भी खास बना दिया। हालांकि, ऋषि कपूर के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण, जाने-माने अभिनेता परेश रावल ने इस रोल में कदम रखा और इस प्रोजेक्ट को पूरा किया। 

 
हिंदी सिनेमा में यह पहली बार है, जब दो असाधारण अभिनेता एक ही किरदार को बड़ी सहजता से निभाते नजर आए। परेश रावल ने बड़ी मौलिकता के साथ ऋषि कपूर के तेजतर्रार व्यक्तित्व को जीवित रखते हुए शर्माजी का रोल बखूबी निभाया। एंड पिक्चर्स पर 30 जुलाई को 'शर्माजी नमकीन' के वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर से पहले परेश रावल ने हमें अपने सफर के बारे में बताया।
 
ऋषि कपूर के दुखद निधन से दुनिया स्तब्ध रह गई थी। जब आपको उनकी जगह लेने के लिए कहा गया, तो आपको कैसा लगा?
मैं वाकई ऋषि जी के काम को पसंद करता हूं, खासकर वो जिस तरह से किरदार में उतरते हैं। मुझे उस वक्त बड़ा सम्मानित महसूस हुआ, जब मुझे उनका रोल निभाने के लिए कहा गया। शर्माजी का किरदार ऋषि कपूर के लिए तैयार किया गया था, और बीच में इस किरदार को अपनाना काफी चैलेंजिंग था। एक तरफ हम भारी मन से सेट पर चीजों को आगे बढ़ा रहे थे, वहीं, यह पहली बार है जब मैंने ऐसा कुछ किया है। इससे वाकई मेरी कला निखरी है। 
 
मैं बहुत लंबे समय से 'शर्माजी नमकीन' के मेकर्स के साथ काम करने के मौके ढूंढ रहा था, और जब उन्होंने मुझे इस रोल में लिया, तो मुझे एक तरह से जिम्मेदारी महसूस हुई। बॉलीवुड में ऐसा कम ही होता है कि दो एक्टर्स एक ही रोल निभाते हैं और मुझे ये मौका दिया गया, जिसने इसे और यादगार बना दिया।
 
शर्माजी का किरदार पहले से ही स्थापित था, फिर आपने इस किरदार में जगह कैसे बनाई?
सच कहूं तो मैं ऋषि जी द्वारा शर्माजी के चित्रण की मौलिकता के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहता था। उन्होंने इस किरदार में नमकीनियत का एक ऐसा फ्लेवर जोड़ा, जिसकी बराबरी मैं नहीं कर सकता। इसलिए, मैं उनकी नकल करने की बजाय बस भावनाओं को पकड़ना चाहता था। मैं कहानी और किरदारों में गहराई से उतरा, ताकि मैं दर्शकों के दृश्य प्रवाह को बाधित न कर सकूं। मैं निर्माताओं और कलाकारों का आभारी हूं जिन्होंने इस प्रक्रिया में मेरी पूरी मदद की। यह ऋषि कपूर की फिल्म है और मेरा मकसद ऋषि जी के प्रभाव को खत्म किए बिना वो काम पूरा करना था, जो उन्होंने शुरू किया था।
 
क्या आपको खुद में और शर्मा जी में कोई समानताएं नजर आईं?
इसके उल्टा, ऋषि जी खाने के सच्चे शौकीन थे। वो जितना अच्छा पका सकते थे, उतने ही अच्छे से खा सकते थे और दूसरी तरफ, मैं सिर्फ पानी उबाल सकता था। लेकिन, शूटिंग के बाद, मैंने खाना पकाने की कुछ समझ विकसित कर ली... इसके लिए 'शर्माजी नमकीन' को धन्यवाद। खाना पकाने के अलावा, मुझे लगता है कि मैं ज़िंदगी के प्रति उनके इस सकारात्मक नजरिए से जुड़ता हूं कि कैसे जुनून सारी मुश्किलों को पार कर जाता है।
 
आपकी और ऋषि कपूर की कोई खास यादें, जो फिल्म निर्माण के दौरान आपके ज़ेहन में ताज़ा हुई हों?
मुझे याद है कि जब इस फिल्म के निर्माता मेरे पास आए, तो मेरे अंदर का एक्टर इस रोल के लिए लालची हो गया था। मैंने और ऋषि ने एक साथ दो फिल्मों में काम किया है, हमारी यात्रा 80 के दशक के अंत से शुरू हुई। वो हमेशा बिना कोई मुखौटा लगाए रहे और एक मज़ेदार इंसान थे। वो ऐसे इंसान थे, जिनके आसपास आप रहना चाहते हैं। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'आ अब लौट चलें' के दौरान मैंने उनका एक बिल्कुल अलग रूप देखा। जहां हमने हल्की-फुल्की ड्रामा/कॉमेडी फिल्मों में साथ काम किया, वहीं हमने हमेशा मुश्किल किरदारों और कहानियों में काम करने की बात की, जहां हम एक-दूसरे को सहकर्मियों और एक व्यक्ति के रूप में अच्छी तरह से जान सकें।
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