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Last Updated : शुक्रवार, 3 जनवरी 2020 (16:12 IST)

Exclusive Interview : फिल्म बनाने के लिए मैं वो विषय चुनना चाहूंगा जो आज तक नहीं चुना गया : आशुतोष गोवारिकर

Exclusive Interview : फिल्म बनाने के लिए मैं वो विषय चुनना चाहूंगा जो आज तक नहीं चुना गया : आशुतोष गोवारिकर - Panipat director ashutosh gowariker interview
फिल्म बनाने के लिए विषय का चुनाव बहुत अहम होता है। मुझे इतिहास पर बनी फिल्म बनानी है तो मैं वो विषय चुनना चाहूंगा जो आज तक नहीं चुना गया। मैं मुगल काल पर पहले ही जोधा अकबर बना चुका हूं तो अगली कोई फिल्म मुगलों पर बनाने की मेरी इच्छा नहीं थी। फिर मैं लगान बना चुका हूं तो मैं ब्रिटिश ज़माने की फिल्म नहीं बनाऊंगा। फिर सोचा कि मराठा साम्राज्य पर फिल्म बनाता हूं।


अपने निर्देशन को ले कर हमेशा चर्चाओं में रहने वाले आशुतोष गोवारिकर से तथ्यों पर बनी फिल्म की ही आशा रहती है। ऐसे में उनकी अगली फिल्म पानीपत को ले कर लोगों में बातें भी हुईं और संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी से तुलना भी हुई।
 
फिल्म के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान इसी तुलना पर बात करते हुए आशुतोष मे वेबदुनिया को बताया कि, तुलना हमेशा होती है। कई बार आपकी अपनी पुरानी फिल्मों से होती है तो कई बार दूसरी लगभग उसी तरह की फिल्म से होती है। अब मराठी साम्राज्य पर मेरे से पहले बाजीराव मस्तानी बनी तो जाहिर है उससे ही तुलना की जाएगी।

मेरे लिए तो बहुत फख्र की बात है कि मेरी फिल्म की तुलना एक हिट फिल्म से हो रही है। वो भी मराठा साम्राज्य पर बनी फिल्म है और पानीपत भी। अब मेरी फिल्म में जो किरदार है वो इन्हीं बाजीराव और चिमाजी अप्पा के आगे की पीढ़ी है। सदाशिव राव चिमाजी के बेटे हैं। तो कपड़े वैसे ही होंगे या शनिवार वाड़ा वही रहेगा। लगभग उसी तरह के गहने भी होंगे क्योंकि समय या काल एक जैसा है।
 
अर्जुन को इस रोल में आपने लिया लेकिन उनकी तुलना जाने अंजाने में रणवीर सिंह से हुई?
मेरे हीरो की तुलना तो होगी ही। जब मैं जोधा अकबर बना रहा था तो रितिक की तुलना पुराने जमाने के अकबर बादशाह पृथ्वीराज कपूर से की गई थी। अब सोचिए दोनों फिल्मों में कितना अंतर था। वो किस समय में बनाई हई फिल्म थी और जोधा अकबर इस समय की फिल्म है। लेकिन मैंने भी सोचा था कि ये मेरे समय या मेरे सोच वाला अकबर है।

अब रणवीर और अर्जुन की भी तुलना होगी ही। लेकिन मेरे लिए वो मेरा सदाशिव है। जो बहुत ही भीमकाय है। फौलादी भुजाओं वाला जो एक साथ कई लोगों से लड़ सकता है या उन्हें हरा सकता है। वो बहुत वृहद सोच वाला और बहुत उत्साही है। मैं जब ये रोल लिख रहा था तब सोचने में अर्जुन ही आया। वैसे भी उसने ऐसी कोई फिल्म नहीं की है।

आशुतोष ने बात जारी रखते हुए कहा कि, कृति ने इसके पहले ऐसा कोई किरदार नहीं निभाया था। लेकिन मुझे कृति के चेहरे या शख्सियत में जो चटपटापन है वो अपनी पार्वती बाई में चाहा था। संजय की भी ये ही बात कहूंगा। संजय यूं तो कई तरह के किरदार कर चुके हैं लेकिन मुझे लगा कि अहमद शाह अब्दाली के तरह से ही उनकी शख़्सियत में वो राजसी तरीका है। वो राजा महाराजा जैसे लगते भी हैं।
इन सभी बातों को मैंने ध्यान में रखा और कई-कई बार स्क्रिप्ट की रीडिंग की। मैं हमेशा मानता हूं कि जिसकी जो शख्सियत है उसे चुन कर जब आप अपने किरदार को उसमें मिला देते हो तो जो नई शख़्सियत बन कर बाहर आती है वो आपके एक्टर को पर्दे पर बहुत निखार देती है।

आपकी आने वाल फिल्म क्या बुद्ध पर आधारित है?
ऐसा सोचा नहीं है। मैंने रिसर्च किया था और वो फिल्म बनाने वाला था लेकिन कुछ कारण से वो तब नहीं बन पाई। वो फिल्म कब शुरु करूंगा ये कुछ बता नहीं सकता अभी।