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Last Updated : सोमवार, 30 नवंबर 2020 (16:43 IST)

राजकुमार हिरानी की फिल्म में काम करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं 'भाभीजी घर पर हैं' फेम सानंद वर्मा

राजकुमार हिरानी की फिल्म में काम करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं 'भाभीजी घर पर हैं' फेम सानंद वर्मा - bhabhiji ghar par hain saanand verma exclusive interview
टीवी पर 'भाबीजी घर पर हैं', फिल्मों में 'छिछोरे' और वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' के जरिए अभिनेता सानंद वर्मा मनोरंजन के इन तीनों माध्यमों का हिस्सा रहे हैं। वह पर्दे पर ऐसे ही अच्छे काम करते रहना ज़ारी रखना चाहते हैं लेकिन वह यह कहना नहीं भूलते हैं कि टेलीविज़न पर जिस तरह का कंटेंट आ रहा है। वह उससे खुश नहीं हैं।

 
इस बातचीत में सानंद वर्मा ने मनोरंजन के अलग-अलग माध्यमों में कॉमेडी का स्वरुप, किस तरह की भूमिकाएं वह करना चाहते हैं और टीवी पर वह किस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं, इन सब पर बात की। देखिए बातचीत के प्रमुख अंश...
 
क्या आपको लगता है कि कॉमेडी करना आसान है? 
कॉमेडी स्वाभाविक रूप से बहुत कम लोगों को आती है। कॉमेडी करना बहुत मुश्किल है, और कॉमिक टाइमिंग सही पकड़ना और भी मुश्किल। अगर किसी का सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह अच्छी कॉमेडी भी कर सकता है। किसी के भी पास अच्छा सेंस ऑफ़ ह्यूमर हो सकता है, लेकिन एक अच्छा कॉमेडियन होने के लिए कड़ी मेहनत और रिसर्च की आवश्यकता होती है। इसके लिए बहुत साड़ी प्रैक्टिस और रिहर्सल करनी होती है। उसके बाद ही आप एक अच्छा कॉमिक परफॉरमेंस दे सकते हैं।
 
क्या आपको लगता है कि हमारे पास अच्छा कॉमेडी कंटेंट है?
एक समय था जब महमूद साहब, असरानी साहब या जगदीप जी ने भारतीय मनोरंजन उद्योग पर राज किया था। उसके बाद  जॉनी लीवर और राजपाल यादव जैसे कॉमेडियन आए, जिन्होंने ऑन-स्क्रीन कुछ अद्भुत काम किया था। लेकिन अब कॉमेडी को कहानियों में शामिल किया जा रहा है किरदारों में नहीं। यही वजह है कि कॉमेडियन नहीं एक्टर्स भी अब कॉमेडी कर रहे हैं। अब सिचुएशनल कॉमेडी है। जिसकी तारीफ भी हो रही है। हमारी फिल्मों में कॉमेडी विकसित हुई है।
 
आप सबसे ज्यादा किस माध्यम को पसंद करते हैं-टीवी, वेब और फिल्म्स
वेब सीरीज आपको एक कलाकार के रूप में बहुत स्वतंत्रता देती है, लेकिन कुछ भी हो फिल्मों का कोई मुकाबला नहीं है। मुझे फिल्में करने में ज्यादा मजा आता है। वेब या टीवी के साथ फिल्मों की कोई तुलना नहीं है। हालांकि मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि टीवी या वेब पर काम करना भी शानदार अनुभव होता है, लेकिन अगर किसी दिन मुझे निर्देशक राजकुमार हिरानी की कोई फिल्म ऑफर की जाती है, तो मैं उस फिल्म के लिए कुछ भी छोड़ दूंगा।
 
आप सबसे ज्यादा क्या करना पसंद करेंगे पॉजिटिव, नेगेटिव या कॉमेडी वाली भूमिका?
मैं कॉमेडी की कुछ बारीकियों के साथ-साथ एक नकारात्मक किरदार करना पसंद करूंगा। सकारात्मक भूमिकाएं भी अच्छी हैं, लेकिन एक अभिनेता के रूप में, मैं एक कॉमिक टच के साथ नकारात्मक किरदार करना पसंद करूंगा।
 
आप अपने द्वारा निभाए गए चरित्र में सबसे अधिक किससे रिलेट करते हैं?
'भाबीजी घर पर हैं' में अनोखे लाल सक्सेना। मुझे लगता है कि असल ज़िंदगी में भी एक पागलपन है जो मुझे इस चरित्र से जोड़ता है।
 
आपको टेलीविजन पर क्या देखना पसंद हैं।
मुझे 'द कपिल शर्मा शो', 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' और 'भाबीजी घर पर हैं' जैसे शो देखना पसंद है, लेकिन मुझे लगता है कि भारतीय टेलीविजन उद्योग में अच्छे शोज नहीं हैं। अच्छे आइडियाज की कमी लगती है। ऐसे बहुत से शोज हैं जिन्हे लोग देख रहे हैं क्यूंकि सालों से देखते आ रहे हैं। अब लोग देख रहे हैं तो टीवी वाले भी अपने कंटेंट पर काम नहीं कर रहे हैं। जो चल रहा है बस चल रहा है। टीवी पर ऐसा कुछ नहीं है, जिसे देखकर गर्व होता है।
दिल्ली में कोरोना के केसेज बढ़ते जा रहे हैं, लोग किस बात का ख्याल रखें आपकी क्या राय है।
कोरोना अभी गया नहीं है और हमारे देश के लोगों में धैर्य नहीं है। सब बेसब्र हो जाते हैं। कोरोना से बचने के लिए जो सावधानियां बरतनी चाहिए वो हम ले नहीं रहे हैं इसलिए दिल्ली में इतने केसेज बढ़ गए। लोग दिवाली में शॉपिंग पर ऐसे निकले जैसे कोरोना नाम की कोई चीज़ ही नहीं है। हम लोगों को बहुत सोच समझकर बाहर निकलना चाहिए। जब बहुत ज़रूरी हो तभी बाहर निकलें।
 
ये बात सभी को पता होनी चाहिए कि इंडिया के ज़्यादातर कॉर्पोरेट सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है। हम शूटिंग कर रहे हैं लेकिन बहुत सारी सावधानियों के साथ तो दिल्ली वालों को ये ख्याल रखना है कि मास्क हमेशा पहनें। हमेशा हाथों को सेनेटाइज करते रहें। सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ज़रूरी है। बिना सेनेटाइज़ किए अपने आंख, नाक और मुंह को ना छूए। लापरवाही ना बरतें ख्याल रखें। जल्द ही वैक्सीन आनेवाला है लेकिन कुछ महीने एहतियाद बरतना होगा।
 
न्यू नार्मल के तहत शूटिंग में आप कितने सहज हैं?
न्यू नार्मल के तहत शूटिंग करना अच्छा तो नहीं लगता है। बार-बार मास्क पहने रहना पड़ता है। जिसका दाग भी चेहरे पर हो जाता है। इसको हटाने के लिए मेकअपमैन को मेहनत करनी पड़ती है। कई बार मेकअपमैन भूल भी गए तो मास्क के मार्क के साथ शूटिंग भी हो गई है। कई बार रीशूट भी करना पड़ा है। परेशानी तो बहुत है क्यूंकि हमारा काम ऐसा है कि उसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन करना मुश्किल है।
 
अच्छी बात है कि सबका कोरोना टेस्ट होता है। उसके बाद ही सेट पर हमें एंट्री मिलती है। हम हमेशा मास्क पहने रहते हैं हमेशा हाथ सेनेटाइज़ करते हैं। जिन कुर्सियों पर बैठते हैं वो भी सेनेटाइज़ होती है। मैं कामना करता हूं कि जल्द से जल्द सब ठीक हो जाए पहले जैसा हो जाए क्योंकि न्यू नॉर्मल के तहत शूटिंग बहुत तकलीफदेह है।