देवर आधा घरवाला होता है : चित्रांगदा सिंह
‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ और ‘कल - यस्टरडे एंड टूमारो’ जैसी फिल्मों में सशक्त अभिनय करने वाली चित्रांगदा सिंह ने कुछ समय के लिए बॉलीवुड को अलविदा कह दिया था, लेकिन हाल ही में उन्होंने ‘सॉरी भाई’ से अपनी वापसी की है। पेश है चित्रांगदा से बातचीत : अपनी वापसी के लिए आपने ‘सॉरी भाई’ को ही क्यों चुना, जिसमें अपने प्रेमी के भाई को चाहने वाली महिला की कहानी है? सदियों से कहा जा रहा है कि ‘साली आधी घरवाली होती है’ तो ‘देवर आधा घरवाला होता है’ कहने में शर्म क्यों महसूस होनी चाहिए। बात बराबरी की होनी चाहिए। यदि कोई महिला यह बात मजाक में भी कह दे तो उस पर उँगलियाँ उठा दी जाएँ। खैर, इस फिल्म में यह सब कुछ हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाया गया है। आपकी पिछली फिल्में गंभीर थीं, क्या ‘सॉरी भाई’ जैसी हल्की-फुल्की फिल्म कर आप राहत महसूस कर रही हैं? बिलकुल। मेरी उन फिल्मों को देख लोग पूछते थे कि क्या मैं ऐसी गंभीर फिल्मों में ही नजर आऊँगी। कोई भी कलाकार एक जैसी भूमिकाएँ या फिल्में नहीं करना चाहता है। तो क्या आपने इस तरह की फिल्मों के इंतजार में ही इतने दिनों तक कोई फिल्म साइन नहीं की? ऐसा नहीं है। मैंने अपने आपको पूरी तरह से फिल्मों से अलग कर लिया था। पिछले वर्ष ही मैंने वापसी की सोची। मैं कुछ लोगों से बात करने की सोच ही रही थी कि ओनीर का फोन मेरे पास आ गया। उन्होंने मुझे ‘सॉरी भाई’ की कहानी सुनाई। मैं उनकी पिछली फिल्मों के बारे में भी जानती थी। ‘सॉरी भाई’ एक हल्की-फुल्की पारिवारिक फिल्म है, जिसमें एक नाजुक विषय को छुआ गया है।क्या आपने यह नहीं सोचा कि ओनीर की फिल्मों को अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है? मैं ओनीर के पिछले रिकॉर्ड के बारे में सोचकर परेशान नहीं हूँ। मैं इस तरह का चरित्र निभाना चाहती थी। भले ही यह सही हो या गलत, यह मेरा फैसला है। भले ही ओनीर को कामयाबी नहीं मिली हो, लेकिन उन्होंने हर बार नए विषयों पर फिल्म बनाई है। फिर जैसे ही मुझे पता चला कि इस फिल्म में शबाना आजमी जैसी कलाकार भी हैं तो मैंने सोच लिया कि इसी फिल्म के जरिए मैं वापसी करूँगी।
इस फिल्म को प्रदर्शन के पूर्व सेलिब्रिटीज़ और कुछ लोगों को दिखाया गया था। उनकी क्या प्रतिक्रिया रही? ज्यादातर लोगों को फिल्म पसंद आई। मेरे अभिनय की तारीफ हुई। राजू हीरानी जैसे निर्देशक ने कहा कि मेरा अभिनय नैसर्गिक है। किसी ने बुराई नहीं की? कुछ लोगों ने नैतिकता के आधार पर फिल्म की आलोचना की। हर आदमी को अपने विचार रखने का हक है। यह फिल्म इसीलिए बनाई गई है कि ताकि हम अपने विचार सामने रख सकें।