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Written By WD Entertainment Desk

बतौर विलेन शत्रुघ्न सिन्हा ने रखा था इंडस्ट्री में कदम, हीरो से ज्यादा मिली वाहवाही

बतौर विलेन शत्रुघ्न सिन्हा ने रखा था इंडस्ट्री में कदम, हीरो से ज्यादा मिली वाहवाही | shatrughan sinhas 78th birthday
shatrughan sinha birthday: बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता और संवाद अदायगी के बेताज बादशाह शत्रुघ्न सिन्हा 78 वर्ष के हो गए हैं। बतौर खलनायक अपने करियर का आगाज कर अपने आक्रमक अंदाज, विद्रोही तेवर और संवाद अदायगी के दम पर शत्रुघ्न सिन्हा ने दर्शको को इस कदर दीवाना बनाया कि नायक की तुलना में उन्हें अधिक वाहवाही मिली। यह फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था जब किसी खलनायक के पर्दे पर आने पर दर्शकों की ताली और सीटियां बजने लगती थी।
 
शत्रुघ्न सिन्हा की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा के हिस्से में महज दो या तीन सीन ही रहते लेकिन इन सीनों मे जब कभी वह दिखाई देते तो अपनी संवाद अदायगी और तेवर से वह नायक की तुलना में कहीं भारी पड़ते थे।
 
शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 9 दिसंबर 1946 में बिहार के पटना में हुआ। बिहार के प्रतिष्ठित पटना सांइस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होनें बतौर अभिनेता बनने के लिये पुणा फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। सत्तर के दशक में फिल्म इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण के बाद शत्रुघ्न सिंहा ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर अपना रूख कर लिया। शुरूआती दौर में फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने के लिये शत्रुघ्न सिंहा को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा।
 
शत्रुघ्न सिंहा ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1969 में रिलीज फिल्म 'साजन' से की। मनोज कुमार की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में उन्हें एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला। इस दौरान उन्हें फिल्म अभिनेत्री मुमताज की सिफारिश पर फिल्म खिलौना में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1970 में रिलीज फिल्म खिलौना की सफलता के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को फिल्मों में काम मिलने लगा। 
 
वर्ष 1971 में रिलीज फिल्म 'मेरे अपने' उनके करियर के लिए महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। युवा राजनीति पर बनी इस फिल्म में विनोद खन्ना ने भी अहम भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में शत्रुघ्न सिंहा का बोला गया यह संवाद 'श्याम आये तो उससे कह देना छैनु आया था', 'बहुत गरमी है खून में तो बेशक आ जाये मैदान में' दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुए।
 
फिल्म मेरे अपने की सफलता के बाद पारस, गैंबलर, भाई हो तो ऐसा, रामपुर का लक्षमण, ब्लैकमेल जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिये शत्रुघ्न सिंहा दर्शको के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गये, जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। इस बीच फिल्मकारों ने शत्रुघ्न सिन्हा की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें बतौर अभिनेता अपनी फिल्मों के लिए साइन करना शुरू कर दिया। 
 
वर्ष 1976 में सुभाष घई के बैनर तले बनी फिल्म 'वह' पहली फिल्म थी जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा की अदाकारी का जादू दर्शकों के सर चढ़कर बोला। फिल्म में अपनी जबरदस्त संवाद अदायगी और दोहरी भूमिका में शत्रुघ्न सिंहा ने अभिनेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।
 
वर्ष 1978 में शत्रुघ्न सिंहा के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म 'विश्वनाथ' रिलीज हुई। सुभाष घई के बैनर तले बनी इस फिल्म में उन्होंने एक वकील का दमदार किरदार निभाया था। यूं तो इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा के बोले गये कई संवाद लोकप्रिय हुए लेकिन उनका बोला यह संवाद 'जली को आग कहते है बुझी को खाक कहते हैं, जिस खाक से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं' दर्शकों के बीच खासे लोकप्रिय हुए और आज भी उसी शिद्दत के साथ श्रोताओं के बीच सुने जाते है।
 
अस्सी के दशक में शत्रुघ्न सिन्हा पर आरोप लगने लगे कि वह केवल मारधाड़ और एक्शन से भरपूर किरदार ही निभा सकते है लेकिन उन्होंने वर्ष 1981 में ऋषिकेष मुखर्जी निर्देशित फिल्म नरम गरम में लाजवाब हास्य अभिनय से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस फिल्म से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है इस फिल्म मे उन्होंने एक गानें में अपनी आवाज भी दी। 
 
फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से लोकसभा सभा सदस्य बने और स्वास्थ्य और जहाजरानी मंत्रालय का कार्यभार संभाला। इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर आसनसोल लोकसभा का चुनाव जीता है।
Edited By : Ankit Piplodiya 
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